________________
३५६
जयधवलासहिदे कसायपाहुडे
[ वेदगो ७
सामित्तं जादं । एसो च असंजदसम्माइट्ठिविसोहिणिबंधणो उदीरणोदयो सत्थाणमिच्छाइट्ठस्स सन्बुकस्ससंकिलेसेणुदीरिददव्वादो असंखेजगुणो ति णत्थि संदेहो । एत्थ गुणा तपाओग्गासंखेञ्जरुवाणि /
* संकमो असंखेज्जगुणो ।
$ ४८३. पुव्वुत्तुदयो णाम असंखेजलोगमेत्तभागहारेण जादो । इमो पुण अंगुलस्सासंखेज्जदिभागमेत्तभागहारेण जादो । तदो सिद्धमसंखेजगुणत्तं । को गुणगारो ? • असंखेजा लोगा ।
* बंधो असंखेज्जगुणो ।
$ ४८४. किं कारणं १ सुहुमणिगोदजहण्णोववादजोगेण बद्धेगसमयपबद्धपमाणत्तादो | एत्थ गुणगारो अंगुलस्सासंखेजदिभागो
* संतकम्ममसंखेज्जगुणं ।
$ ४८५. कुदो ? खविदकम्मंसियलक्खणेणागंतूण खवणाए एगडिदिदुसमय काल सेसे असंखेज्जपंचिंदियसमयपबद्धसंजुत्तगुण सेढिगोवुच्छावलंबणेण जहण्णसामित्त गहणादो । तदो सिद्धमसंखेजगुणतं । गुणगारो च पलिदोवमस्स असंखेजदिभागमे तो ।
* सम्मत्तस्स जहण्णिया पदेस दीरणा थोवा ।
असंयतसम्यग्दृष्टिके विशुद्धिनिमित्तक यह उदीरणोदयरूप द्रव्य स्वस्थान मिथ्यादृष्टिके सर्वोत्कृष्ट संक्लेशवश प्राप्त हुए उदीरणाद्रव्यसे असंख्यातगुणा है इसमें सन्देह नहीं है । यहाँ पर गुणकार तत्प्रायोग्य असंख्यात रूप प्रमाण है ।
* उससे संक्रम असंख्यातगुणा है ।
$ ४८३. पूर्वोक्त उदय असंख्यात लोकप्रमाण भांगहारसे उत्पन्न हुआ है, परन्तु यह संक्रम अंगुलके असंख्यातवें भागप्रमाण भागहारसे उत्पन्न हुआ है, इसलिए यह असंख्यातगुणा है यह सिद्ध हुआ । गुण्णकार क्या है ? असंख्यात लोक गुणकार है ।
* उससे बन्ध असंख्यातगुणा है ।
$ ४८४. क्योंकि वह सूक्ष्मनिगोद जीवके जघन्य उपपाद योगसे बद्ध एक समयप्रबद्धप्रमाण है । यहाँ पर गुणकार अंगुलके असंख्यातवें भागप्रमाण है ।
* उससे सत्कर्म असंख्यातगुणा है ।
$ ४८५. क्योंकि क्षपितकर्मांशिकलक्षणसे आकर क्षपणामें दो समय कालप्रमाण एक स्थितिके शेष रहने पर पश्र्चेन्द्रिय सम्बन्धी असंख्यात समयप्रबद्धसंयुक्त गुणश्रेणि गोपुच्छाका अवलम्बन कर जघन्य स्वामित्वका ग्रहण किया है । इसलिए यह असंख्यातगुणा है यह सिद्ध हुआ । यहाँ पर गुणकार पल्योपमके असंख्यातवें भागप्रमाण है ।
* सम्यक्त्वकी जघन्य प्रदेश उदीरणा स्तोक है ।