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________________ गा० ६२ ] बंधादिपंचपदप्पाबहुआणिद्देसो ३३५ जहण्णो होदि । एदेण कारणेण जहण्णाबाहाए समयूणदोआवलियाणमवणयणं काढूण अवणिदसेसमेत्रेण विसेसाहियत्तमेत्थ दट्ठव्वमिदि सिद्धं । * जट्ठिदिसंतकम्मं विसेसाहियं ९ ३९७. केचियमेतो विसेसो १ एगट्ठिदिमेत्तो ! किं कारणं १ संकमणावलियाए चरिमसमयम्मि जट्ठिदिसंकमो जहण्णो जादो । जडिदिसंतकम्मं पुण तो हेट्ठिमातरसमए वट्टमाणस्स जहण्णं होइ । तेण कारणेण संकमणावलियाए दुचरिमसमयपवेसेण विसेसाहियचमेत्थ गहेयव्वं । * जट्ठिदिबंधो विसे साहिओ । $ ३९८. केचियमेत्तो विसेसो ? दुसमयूणदोआवलियमेचो । किं कारणं ? संपुण्णाबाहाए सह जट्ठिदिबंधस्स जहण्णभावदंसणादो । * लोहसंजलस्स जहण्णट्ठिदिसंकमो संतकम्ममुदयोदीरणा च तुल्ला थोवा । $ ३९९. कुदो ? सव्वेसि मेगट्ठिदिपमाणत्तादो । तं कथं ? सुहुमसांपराइयस्स समयाहियावलियाए द्विदिसंकमो ट्ठिदिउदीरणा च जहण्णिया होइ। तस्सेव चरिमसमए द्विदिआवलियोंको कम करनेसे शेष बचा आबाधा काल यहाँ अधिक जानना चाहिए यह सिद्ध हुआ । * उससे यत्स्थितिसत्कर्म विशेष अधिक है । ९ ३९७. शंका - विशेषका प्रमाण कितना है ? समाधान - एक स्थितिमात्र है, क्योंकि संक्रमणावलिके अन्तिम समय में यत्स्थितिसंक्रम जघन्य हुआ है । किन्तु यत्स्थितिसत्कर्म उससे अनन्तर पूर्व समय में वर्तमान जीवके जघन्य होता है। इस कारण संक्रमणावलिके द्विचरम रूमयका प्रवेश हो जानेके कारण यहाँ विशेष अधिकपना ग्रहण करना चाहिए । * उससे यत्स्थितिबन्ध विशेष अधिक है । ९ ३९८. शंका – विशेषका प्रमाण कितना है ? समाधान – दो समय कम दो आवलिप्रमाण है, क्योंकि सम्पूर्ण आबाधा साथ यत्स्थितिबन्धका जघन्यपना देखा जाता है । * लोभसंज्वलनका जघन्य स्थिति संक्रम, सत्कर्म, उदय और उदीरणा ये परस्पर तुल्य होकर स्तोक हैं । $ ३९९. क्योंकि ये सब एक स्थितिप्रमाण है । शंका- वह कैसे ? समाधान — सूक्ष्मसाम्परायिक जीवके एक समय अधिक एक आवलि प्रमाण कालके
SR No.090223
Book TitleKasaypahudam Part 11
Original Sutra AuthorGundharacharya
AuthorFulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
PublisherBharatvarshiya Digambar Jain Sangh
Publication Year2000
Total Pages408
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Karma, & Religion
File Size14 MB
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