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________________ ३३४ जयधवलासहिदे कसायपाहुडे [ वेदगो ७ 5 ३९२. किं कारणं ? एगढिदिपमाणत्तादो । ___ * जहण्णगो द्विदिउदयो संखेजगुणो । ३९३. कुदो ? दोडिदिपमाणनादो । णेदमसिद्धं, तम्मि चेव विसए उदयद्विदीए सह उदीरिजमाणट्ठिदीए जहण्णोदयभावेण विवक्खियत्तादो । * जहिदिउदयो जहिदिउदीरणा च असंखेनगुणो। 5 ३९४. कुदो ? समयाहियावलियपमाणत्तादो। * जहण्णगो हिदिबंधो ठिदिसंकमो ठिदिसंतकम्मं च संखेजगुणाणि । $ ३९५. कुदो ? आवाहूणवेमास-मास-पक्खपमाणचादो। किमट्ठमावाहाए ऊणामेस्थ कीरदे ? ण, जहण्णबंध-संकम-संतकम्माणं णिसेयपहाणत्तावलंबणादो। * जट्ठिदिसंकमो विसेसाहियो । 5 ३९६. केशियमेत्तो विसेसो ? अंतोमुहुत्तमेलो । कुदो ? समयूणदोआवलियाहिं परिहीणजहण्णाबाहाए एत्थ पवेसदसणादो । तं जहा–कोहसंजलणादीणं चरिमसमयणयकबंधं बंधावलियादिक्कतं संकमणावलियचरिमसमए संकामेमाणस्स जडिदिसंकमो $ ३९२. क्योंकि वह एक स्थितिप्रमाण है। * उससे जघन्य स्थितिउदय संख्यातगुणा है। $ ३९३. क्योंकि वह दो स्थितिप्रमाण है । यह असिद्ध नहीं है, क्योंकि उसी स्थल पर उदय स्थितिके साथ उदीर्यमाण स्थिति जघन्य उदयरूपसे विवक्षित है। * उससे यत्स्थिति उदय और यस्थितिउदीरणा असंख्यातगुणी है । 5 ३९४. क्योंकि वह एक समय अधिक एक आवलिप्रमाण है। * उनसे जघन्य स्थितिबन्ध, स्थितिसंक्रम और स्थितिमत्कर्म संख्यातगुणे है । $ ३९५. क्योंकि वे क्रमसे आबाधा कम दो माह, एक माह और एक पक्षप्रमाण है। शंका-यहाँ पर आबाधासे कम क्यों किया जाता है ? . समाधान नहीं, क्योंकि जघन्य स्थितिबन्ध, जघन्य स्थितिसंक्रम और जघन्य स्थितिसत्कर्म इनके निषेकप्रधानपनेका अवलम्बन है । * उनसे यत्स्थितिसंक्रम विशेष अधिक है। 5 ३९६. शंका-विशेषका प्रमाण कितना है ? समाधान–अन्तर्मुहूर्तमात्र है, क्योंकि एक समय कम दो आवलिसे न्यून जघन्य आबाधाका यहाँ प्रवेश देखा जाता है । यथा-क्रोध संज्वलन आदिके अन्तिम समयसम्बन्धी नवकबन्धका बन्धावलिके बाद संक्रमणावलिके अन्तिम समयमें संक्रमण करनेवाले जीवके यस्थितिसंक्रम जघन्य होता है। इस कारणसे जघन्य आबाधामेंसे एक समय कम दो
SR No.090223
Book TitleKasaypahudam Part 11
Original Sutra AuthorGundharacharya
AuthorFulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
PublisherBharatvarshiya Digambar Jain Sangh
Publication Year2000
Total Pages408
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Karma, & Religion
File Size14 MB
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