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गा० ६२] मूलपयढिअणुभाग उदीरणाए भागाभागो
१३ ___ २६. णाणाजीवेहि भंगविचओ दुविहो जह० उक्क० । उक्कस्से पयदं । दुविहो णि ओघेण आदेसेण य । ओघेण मोह० उक्कस्साणु० सिया सव्वे अणुदीरगा, सिया अणुदीरगा च उदीरगो च, सिया अणुदीरगा च उदीरगा च । अणुक्कस्सियाए अणुभागुदी० सिया सव्वे उदीरगा, सिया उदीरगा च अणुदीरगो च, सिया उदीरगअणुदीरगा च । एवं चदुगदीसु । णवरि मणुसअपज्ज. उक्क० अणुक्क० अणुभागुदी० अठ भंगा । एवं जहण्णयं पिणेदव्वं । एवं जाव० ।।
२७. भागाभागाणु० दुविहं-जह० उक्क० । उक्कस्से पयदं । दुविहोणिओघेण आदेसेण य । ओघेण मोह० उक्क० अणुभागुदी० सव्वजी० केवडिओ भागो ? अणंतभागो। अणुक्क० अणुभागुदी० अणंता भागा । एवं तिरिक्खा० । आदेसेण णेरइय० मोह० उक्क० अणुभागुदी० सव्वजी० केव० १ असंखे० भागो। अणुक्क० असंखेजा भागा । एवं सव्वणेरइय-सव्वपंचिंदियतिरिक्ख-मणुस-मणुसअपज०-देवा भवणादि जाव अवराजिदा त्ति । मणुसपञ्ज०मणुसिणी-सव्वट्ठदेवा मोह० उक्क० अणुभागुदी.
विशेषार्थ-अपने-अपने जघन्य अनुभाग उदीरणाके स्वामित्वको जानकर यह अन्तरकाल घटित कर लेना चाहिए । विशेष वक्तव्य न होनेसे यहाँ हम उसका अलगसे स्पष्टीकरण नहीं कर रहे हैं।
६ २६. नाना जीवोंकी अपेक्षा भंग विचय दो प्रकारका है-जघन्य और उत्कृष्ट । उत्कष्टका प्रकरण है। निर्देश दो प्रकारका है-ओघ और आदेश। ओघसे मोहनीयको उत्कृष्ट अनुभाग उदीरणाके कदाचित् सब जीव अनुदीरक हैं, कदाचित् नाना जीव अनुदीरक हैं और एक जीव उदीरक है तथा कदाचित् नाना जीव अनुदीरक हैं और नाना जीवउ दीरक हैं। अनुत्कृष्ट अनुभाग उदीरणाके कदाचित् सब जीव उदीरक हैं, कदाचित् नाना जीव उदीरक हैं और एक जीव अनुदीरक है तथा कदाचित् नाना जीव उदीरक है और नाना जीव अनुदीरक हैं । इसी प्रकार चारों गतियोंमें जानना चाहिए । इतनी विशेषता है कि मनुष्य अपर्यातकोंमें उत्कृष्ट तथा अनुत्कृष्ट अनुभाग उदीरणाकी अपेक्षा आठ भंग होते हैं। इसी प्रकार जघन्यकी अपेक्षा भी जानना चाहिए । इस प्रकार अनाहारक मार्गणा तक ले जाना चाहिए ।
$ २७. भागाभागानुगम दो प्रकारका है जघन्य और उत्कृष्ट । उत्कृष्टका प्रकरण है । निर्देश दो प्रकारका है-ओघ और आदेश । ओघसे मोहनीयके उत्कृष्ट अनुभागके उदीरक जीव सब जीवोंके कितने भाग प्रमाण हैं ? अनन्तवें भागप्रमाण हैं। अनुत्कृष्ट अनुभागके उदीरक जीव अनन्त बहुभाग प्रमाण हैं। इसी प्रकार तिर्यञ्चोंमें जानना चाहिए । आदेशसे नारकियोंमें मोहनीयके उत्कृष्ट अनुभागके उदीरक जीव सब जीवोंके कितने भागप्रमाण हैं ? असंख्यातवें भाग प्रमाण हैं। अनुत्कृष्ट अनुभागके उदीरक जीव असंख्यात बहुभाग प्रमाण हैं। इसी प्रकार सब नारकी, सब पञ्चेन्द्रिय तिर्यञ्च, सामान्य मनुष्य, मनुष्य अपर्याप्त, सामान्य देव और भवनवासियोंसे लेकर अपराजित विमान तकके देवोंमें जानना चाहिए। मनुष्य पर्याप्त, मनुष्यिनी और सर्वार्थसिद्धिके देवोंमें मोहनीयके उत्कृष्ट अनुभागके उदीरक जीव सब जीवोंके कितने भाग प्रमाण हैं ? संख्यातवें भाग प्रमाण हैं । अनुत्कृष्ट अनुभागके