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गा० ६२] उत्तरपयडिअणुभागउदीरणाए वड्डीए भागाभागाणुगमो भयणिज्जा । सव्वत्थ भंगा जाणिय वत्तव्वा । एवं जाव०।
5 ४५९. भागाभागाणुगमेण दुविहो णिदेसो-ओघेण आदेसेण य । ओघेण मिच्छ०-णवुस० अणंतगुणवड्डी० दुभागो सादिरेयो । हाणी० दुभागो देसूणो । अवत्त० अणंतभागो । सेसपदा० असंखे०भागो। एवं सोलसक०-अट्ठणोक०-सम्म०सम्मामि० । णवरि अवत्त० केवडिओ भागो ? असंखे०भागो । एवं तिरिक्खा० ।
४६०. सव्वणिरय-सव्वपंचिंदियतिरिक्ख-मणुसअपज --देवा जाव अवराजिदा त्ति सव्वपय० अणंतगुणवड्डी० दुभागो सादिरेगो । हाणी० दुमागो देसूणो । सेसपदा० असंखे०भागो । मणुसेसु मिच्छ०-सोलणक०-सत्तणोक० णारयभंगो । सम्म०सम्मामि०-इत्थिवेद-पुरिसवेद० अणंतगुणवड्डी० दुभागो सादिरेओ । हाणी. दुभागो देसूणो । सेसपदा० संखे०भागो। मणुसपज०-मणुसिणी-सव्वट्ठदेवा० सव्वपयडी० अणंतगुणवड्डी० दुभागो सादिरे० । अणंतगुणहा० दुभागो देसू० । सेसपदा० संखे०भागो । एवं जाव० ।
भजनीय हैं। सर्वत्र भंग जानकर कहना चाहिए। इसी प्रकार अनाहारक मार्गणा तक जानना चाहिए।
$ ४५९. भागाभागानुगमकी अपेक्षा निर्देश दो प्रकारका है-ओघ और आदेश । ओघसे मिथ्यात्व और नपुंसकवेदकी अनन्तगुणवृद्धि अनुभागके उदीरक जीव साधिक द्वितीय भागप्रमाण हैं । उनसे अनन्तगुणहानि अनुभागके उदीरक जीव कुछ कम द्वितीय भागप्रमाण हैं। अवक्तव्य अनुभागके उदीरक जीव अनन्तवें भागप्रमाण हैं। शेष पदरूप अनुभागके उदीरक जीव असंख्यातवें भागप्रमाण हैं । इसी प्रकार सोलह कषाय, आठ नोकषाय, सम्यक्त्व और सम्यग्मिथ्यात्वकी अपेक्षा जानना चाहिए। इतनी विशेषता है कि इनके अवक्तव्य अनुभागके उदीरक जीव कितने हैं ? असंख्यातवें भागप्रमाण हैं। इसी प्रकार तिर्यञ्चोंमें जानना चाहिए।
$४६०. सब नारकी, सब पञ्चेन्द्रिय तिर्यञ्च, मनुष्य अपर्याप्त और सामान्य देवोंसे लेकर अपराजित विमान तकके देवोंमें सब प्रकृतियोंकी अनन्तगुणवृद्धि अनुभागके उदीरक जीव साधिक द्वितीय भागप्रमाण हैं। अनन्तगुणहानि अनुभागके उदीरक जीव कुछ कम द्वितीय भागप्रमाण हैं। शेष पदरूप अनुभागके उदीरक जीव असंख्यातवें भागप्रमाण हैं। मनुष्योंमें मिथ्यात्व, सोलह कषाय और सात नोकषायोंका भंग नारकियोंके समान है। सम्यक्त्व, सम्यग्मिथ्यात्व, स्त्रीवेद और पुरुषवेदकी अनन्तगुणवृद्धि अनुभागके उदीरक जीव साधिक द्वितीय भागप्रमाण हैं। अनन्तगुणहानि अनुभागके उदीरक जीव कुछ कम द्वितीय भागप्रमाण हैं । शेष पदरूप अनुभागके उदीरक जीव संख्यातवें भागप्रमाण हैं । मनुष्य पर्याप्त, मनुष्यिनी और सर्वार्थसिद्धिके देवोंमें सब प्रकृतियोंकी अनन्तगुणवृद्धि अनुभागके उदीरक जीव साधिक द्वितीय भागप्रमाण हैं । अनन्तगुणहानि अनुभागके उदीरक जीव कुछ कम द्वितीय भागप्रमाण हैं । शेष पदरूप अनुभागके उदीरक जीव संख्यातवें भागप्रमाण हैं। इसी प्रकार अनाहारक मार्गणा तक जानना चाहिए ।
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