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गा० ६२] उत्तरपयडिअणुभागउदीरणाए पदणिक्खेवे सामित्तं कस्स ? अण्णद० समयाहियावलियअक्खीणदंसणमोहणीयस्स तस्स जह० हाणी।
४३४. सम्मामि० जह० वड्डी कस्स १ अण्णद. अधापवत्तसम्मामिच्छा. जो अणंतभागेण वड्ढिदो तस्स जह० वड्डी । तस्सेव से काले जह० अवट्ठा० । जह० हाणी कस्स ? अण्णद० चरिमसमयसम्मामिच्छाइद्विस्स से काले सम्मत्तं पडिवजिहिदि त्ति तस्स जह० हाणी।
४३५. अपच्चक्खाण०४ जह० वड्डी कस्स ? अण्णद० अधापवत्तसम्माइद्विस्स जो अणंतभागेण वड्डिदो तस्स जह० वड्डी। तस्सेव से काले जह० अवट्ठा० । जह० हाणी कस्स ? अण्णद० चरिमसमयअसंजदसम्माइडिस्स से काले संजमं गाहिदि त्ति तस्स जह० हाणी । एवं पञ्चक्खाण०४ । णवरि संजदासंजदस्स भाणिदव्वं ।
६४३६. चदुसंजल० जह० वड्डी कस्स १ अण्णद० उवसमसेढीदो परिवदमाणगस्स विदियसमयउदीरगस्स तस्स जह० वड्डी । जह० हाणी कस्स ? अण्णद० समयाहियावलियचरिमसमयउदीरगस्स खवगस्स तस्स जह० हाणी । जह० अबट्ठा० कस्स ? 'समयमें जघन्य अवस्थान होता है । जघन्य हानि किसके होती है ? जिसने दर्शनमोहनीयको
क्षपणा पूरी नहीं की, उसमें अभी एक समय अधिक एक आवलि काल शेष है ऐसे अन्यतर कृतकत्य. वेदक सम्यग्दृष्टि जीवके उसकी जघन्य हानि होती है।
४३४. सम्यग्मिथ्यात्वकी जघन्य वृद्धि किसके होती है ? जो अनन्तभागवृद्धिसे वृद्धिको प्राप्त हुआ है ऐसे अन्यतर अधःप्रवृत्त सम्यग्मिध्यादृष्टिके उसकी जघन्य वृद्धि होती है। तथा उसीके तदनन्तर समयमें जघन्य अवस्थान होता है। जघन्य हानि किसके होती है ? जो तदनन्तर समयमें सम्यक्त्वको प्राप्त करेगा ऐसे अन्तिम समयवर्ती अन्यतर सम्यग्मिध्यादृष्टिके उसकी जघन्य हानि होती है।
४३५. अप्रत्याख्यानावरण चतुष्ककी जघन्य वृद्धि किसके होती है ? जो अनन्तभागवृद्धिसे वृद्धिको प्राप्त हुआ है ऐसे अन्यतर अधःप्रवृत्त सम्यग्दृष्टिके उसकी जघन्य वृद्धि होती है। तथा उसीके तदनन्तर समयमें जघन्य अवस्थान होता है। जघन्य हानि किसके होती है ? जो अनन्तर समयमें संयमको प्राप्त करेगा ऐसे अन्तिम समयवर्ती अन्यतर असंयत सम्यग्दृष्टिके. उसकी जघन्य हानि होती है। इसी प्रकार प्रत्याख्यानावरणचतुष्ककी अपेक्षा कथन करना चाहिए । इतनी विशेषता है कि संयतासंयतके कहलाना चाहिए।
$ ४३६. चार संज्वलनकी जघन्य वृद्धि किसके होती है ? उपशमश्रेणिसे गिर कर दूसरे समयमें उदीरणा करनेवाले अन्यतर जीवके उसकी जघन्य वृद्धि होती है। जघन्य हानि किसके होती है ? क्षपणामें एक समय अधिक एक आवलि काल शेष रहने पर जो क्षपक उदीरणाके अन्तिम समयमें स्थित है ऐसे अन्यतर क्षपकके उसकी जघन्य हानि होती है। जघन्य अवस्थान किसके होता है ? जो अनन्तभागवृद्धि करके अवस्थित है ऐसे अन्यतर
१. ता प्रतौ अण्णद० चरिमसमय मच्छाइट्ठिस्स से काले समयाहियावलिय- इति पाठः।