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जयधवलासहिदे कसायपाहुडे
[ वेदगो ७
सोलसक० सिया० तं तु छट्टाणपदिदं । छण्णोक० सिया० अनंतगुणहीणं । एवं पुरिसवेद० ।
$ २६०. णव स० उक्क० अणुभागमुदीरें तो मिच्छ० णिय० तं तु छट्टाणपदिदं । सोलसक० - चदुणोक० सिया० तं तु छट्टाणपदिदं । हस्स -रदि० सिया० अनंतगुणहीणं ।
$ २६१. इस्सस्स उक्क० अणुभागमुदीरेंतो मिच्छ - रदि० णिय० तं तु छट्टाणपदिदं । सोलसक० सिया० तं तु छट्टाणपदिदं । भय-दुर्गुछ० सिया० अनंतगुणहीणं । पुरिसवे ० णिय० अणंतगुणहीणं । एवं रदीए ।
$ २६२. अरदि० उक्क० अणुभागमुदीरेंतो मिच्छ० - ण स ० - सोग० जिय० तं तु छट्टादिदं । सोलसक० -भय-दुगुंछ० सिया० तं तु छट्टाणपदिदं । एवं सोग० ।
है और कदाचित् अनुदीरक है । यदि उदीरक है तो उत्कृष्टका उदीरक है या अनुत्कृष्ट उदीर है। यदि अनुत्कृष्टका उदीरक है तो उत्कृष्टसे छह स्थानपतित अनुत्कृष्ट अनुभागकी उदीरणा करता है। छह नोकषायका कदाचित् उदीरक है और कदाचित् अनुदीरक है । यदि उदीरक है तो अनन्तगुणहीन अनुत्कृष्ट अनुभागकी उदीरणा करता है । इसी प्रकार पुरुषवेदको मुख्य कर सन्निकर्ष कहना चाहिए ।
$ २६०. नपुंसकवेदके उत्कृष्ट अनुभागकी उदीरणा करनेवाला मिध्यात्वका नियमसे उदीरक है । जो उत्कृष्टका उदीरक है या अनुत्कृष्टका उदीरक है । यदि अनुत्कृष्टका उदीरक है तो उत्कृष्टसे छह स्थानपतित अनुत्कृष्ट अनुभागकी उदीरणा करता है । सोलह कषाय और चार नोकषायों का कदाचित् उदीरक है और कदाचित् अनुदोरक है। यदि उदीरक है तो उत्कृष्टका उदीरक है या अनुष्टका उदीरक है । यदि अनुत्कृष्टका उदीरक है तो उत्कृष्टसे छह स्थानपतित अनुत्कृष्ट अनुभागकी उदीरणा करता है । हास्य और रतिका कदाचित् उदीरक है और कदाचित् अनुदीरक है । यदि उदीरक है तो अनन्त गुणहीन अनुत्कृष्ट अनुभागकी उदीरणा करता है।
$ २६१. हास्यके उत्कृष्ट अनुभागकी उदीरणा करनेवाला मिथ्यात्व और रतिका नियमसे उदीरक है । जो उत्कृष्ट अनुभागका उदीरक है या अनुत्कृष्ट अनुभागका उदीरक है । यदि अनुकृष्ट अनुभागका उदीरक है तो उत्कृष्टसे छह स्थानपतित अनुत्कृष्ट अनुभागकी उदीरणा करता है । सोलह कषायोंका कदाचित् उदीरक है और कदाचित् अनुदीरक है । यदि उदीरक है तो उत्कृष्ट अनुभागका उदीरक है या अनुत्कृष्ट अनुभागका उदीरक है। यदि अनुत्कृष्ट अनुभागका उदीरक है तो उत्कृष्ट अनुभागकी अपेक्षा छह स्थानपतित अनुत्कृष्ट अनुभागकी उदीरणा करता है। भय और जुगुप्साका कदाचित् उदीरक है और कदाचित् अनुदीरक है । यदि उदीरक है तो उत्कृष्टकी अपेक्षा अनन्तगुणहीन अनुत्कृष्ट अनुभागकी उदीरणा करता है । पुरुषवेदका नियमसे उदीरक होकर अनन्तगुणहीन अनुत्कृष्ट अनुभागकी उदीरणा करता है । इसी प्रकार रतिको मुख्यकर सन्निकर्ष कहना चाहिए ।
$ २६२. अरतिके उत्कृष्ट अनुभागकी उदीरणा करनेवाला मिध्यात्व, नपुंसक वेद और शोकका नियमसे उदीरक है जो इनके उत्कृष्ट अनुभागका उदीरक है या अनुत्कृष्ट अनुभागका उदीरक है । यदि अनुत्कृष्ट अनुभागका उदीरक है तो उत्कृष्टकी अपेक्षा छह स्थानपतित अनुत्कृष्ट अनुभागकी उदीरणा करता है। सोलह कषाय, भय और जुगुप्साका कदाचित् उदीरक है और कदाचित् अनुदीरक है । यदि उदीरक है तो उत्कृष्ट अनुभागका उदीरक है या अनुत्कृष्ट