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जयधवला सहिदे कसायपाहुडे
[ .गो ७
३५७ किं कारणं ? सोहम्मीसासु सागरोवममेत्तकाल अंतरसंविदाणं खइपसाइडिजीपाणमिह विवाखयत्तादो ।
ॐ चडवीसाए पवेसगा असंखेज़गुणा ।
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$ ३५८. कुदो १ चडवीससंतकम्मिय वेदय सम्माहिरा सिस्स गहणादो ।
* अट्ठावीसाए पवेसगा असंखेजगुणा |
७३५९. किं कारणं ? अट्ठावीससंतकम्मिय वेदगसम्माइद्विरासिस्स पहाणभावेण विवक्खियचादो |
छवीसाए पवेसगा अतगुणा ।
९३६०. कुदो ? किंचूणसव्यजीवरासिपमाणचादो | एवमोघे पात्रहु समन्तं ।
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६ ३६१. संपहि श्रादेसरूवमुच्चारणं वतइस्साम । तं जहा - आदेसेख रइय० सव्वत्थोवा २२ पवे० । २५ पवेस असंखेजगुणा । २७ पवे० असंखेज्जगुणा । २१ पवे० श्रसंखेज्जगुणा । २४ पवे० श्रसंखेज्जगुणा । २८ पवे० असंखेज्जगुणा | २६ पवे० असंखेज्जगुरणा । एवं पदमाए पंचिदियतिरिक्ख० २.देवा सोहम्मादि सहस्सार त्ति |
* उनसे इक्कीस प्रकृतियोंके प्रवेशक जीव असंख्यातगुणे हैं ।
$ ३५७. क्योंकि सौधर्म और ऐशानकरूपमें दो सागरप्रमाण काल के भीतर सचित हुए क्षायिक सम्यग्दृष्टि जीवोंकी यहां पर प्रधानभावसे विवक्षा की गई है ।
* उनसे चौवीस प्रकृतियोंके प्रवेशक जीव असंख्यातगुये हैं ।
६३५८. क्योंकि चौबीस प्रकृतियोंकी सत्तावाले वेदकसम्यग्दृष्टियों का यहां पर मह किया गया है।
* उनसे श्रट्टाईस प्रकृतियोंके प्रवेशक जीव असंख्यातगुणे हैं ।
३ ३५८. क्योंकि अट्ठाईस प्रकृतियोंकी सत्तावाली वेदकसम्यग्दृष्टि जीवराशि प्रधानभासे यहां पर विवक्षित है ।
* उनसे छब्बीस प्रकृतियोंके प्रवेशक जीव अनन्तगुणे हैं ।
३६०, क्योंकि ये कुछ कम सब जीव राशिप्रमाण हैं,
इस प्रकार प्रोघले अल्पबहुत्व समाप्त हुआ
६ ३६१. अम आदेशका कथन करनेके लिए उच्चारणा को बतलाते हैं । यथा - आदेश से नारकियोंमें २२ प्रकृतियोंके प्रवेशक जीव सबसे स्टोक हैं। उनसे २५ प्रकृतियोंके प्रवेशक जीव संख्यातगुणे हैं। उनसे २७ प्रकृतियोंके प्रवेशक जीव श्रसंख्यातगुणे हैं। उनसे २१ प्रकृतियों के प्रवेशक जीव असंख्यातगुणे हैं। उनसे २४ प्रकृतियोंके प्रवेशक जीव असंख्यातगुणे हैं। उनसे २८ प्रकृतियों के प्रवेशक जीव श्रसंख्यातगुणे हैं। उनसे २६ प्रकृतियोंके प्रवेशक जीव असंख्यात - गुणे हैं। इसी प्रकार पहली पृथिवीके नारकी, पचेन्द्रिय तिर्यञ्चद्विक, सामान्म दे और सौधर्म कल्प से लेकर सहसा रकल्प तकके देवों में जानना चाहिए ।