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जयधवला सहिदे कसायपाहुडे
९ २६६. पयडिविसेसवसेण विसेसाहियत्तमेत्थ दट्ठव्वं । * सोगे जहणणपदेससंकमो विसेसाहियो ।
§ २६७. कुदो ? पुव्विल्लबंधगद्धादो संखेज्जगुणबंधगद्धाए संचिददव्त्रानुसारेण संकमपवृत्ति अन्भुवगमादो ।
* अरदीए जहण्णपदेससंकमो संखेज्जगुणो ।
२६८. पडिविसेसमेत मेत्थ कारणं ।
* एवं सयवेदे जहणपदेससंकमो विसेसाहियो ।
२६. केत्तियमेत्तेण १ इत्थिपु रिसवेदबंधगद्धापरिसुद्धहस्सर दिबंधगद्धा पडिबद्धसंचयमेत्तेण ।
* दुर्गुछाए जहण्णपदेससंकमो विसे साहियो । ३००. त्तियमेत्ते ? इत्थपुरिसवेदबंधगद्धासंचयमेत्तेण । * भए जहणणपदेस संकमो विसेसाहिओ ।
९ ३०१. केत्तियमेत्तो विसेसो ? पयडिविसेसमेत्तो ।
* माणसंजलणे जहण्णपदेससंकमो विसेसाहिओ ।
९ ३०२. केत्तियमेत्तो विसेसो ? चउन्भागमेत्तो ।
* कोहे जहणपदेससंकमो विसेसाहित्र ।
[ बंधगो ६
§ २६६. प्रकृति विशेष होनेके कारण यहाँ पर विशेष अधिकपना जान लेना चाहिए । * उससे शोकका जघन्य प्रदेशसंक्रम संख्यातगुणा है ।
२७. क्योंकि पूर्व प्रकृतिके बन्धक कालसे संख्यातगुणे बन्धक कालमें सञ्चित हुए द्रव्यके अनुसार संक्रमकी प्रवृत्ति स्वीकार की गई है ।
* उससे अरतिका जघन्य प्रदेशसंक्रम विशेष अधिक है ।
६ २६८. प्रकृति विशेषमात्र यहाँ पर कारण है ।
* उससे पुरुषवेदका जघन्य प्रदेशसंक्रम विशेष अधिक है ।
§ २६६. कितना अधिक है ? स्त्रीवेद और पुरुषवेदके बन्धककालसे न्यून हास्य रतिके बन्धक कालके भीतर जितना सञ्चय होता है उतना अधिक है ।
* उससे जुगुप्साका जघन्य प्रदेशसंक्रम विशेष अधिक है ।
३००. कितना अधिक है ? स्त्रीवेद-पुरुषवेदके बन्धककालमें हुआ सयमात्र अधिक है । * उससे भयका जघन्य प्रदेशसंक्रम विशेष अधिक है ।
३०१. विशेषका प्रमाण कितना है ? प्रकृतिविशेषमात्र विशेषका प्रमाण * उससे मान संज्वलनका जघन्य प्रदेशसंक्रम विशेष अधिक है । ६ ३०२. विशेषका प्रमाण कितना है ? चतुर्थ भागमात्र विशेषका प्रमाण है । * उससे क्रोधसंज्वलनका जघन्य प्रदेशसंक्रम विशेष अधिक है ।
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