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________________ 70/ जैन समाज का वृहद् इतिहास शिवसागर: शिवसागर आसाम प्रान्त का जिला मुख्यालय है । सन् 1891 की जनगणना में पूरे जिले में 37 जैन थे। शिवसागर अंग्रेजी शासन के पहिले अहरा वंश के राजा का शासन था। वर्तमान नेपाल में केवल चार परिवार ही रहते हैं। बाकी के जैन आसाम के दूसरे नगरों में जाकर बस गये ऐसा लगता है। डीमापुरः डीमापुर नागालैण्ड प्रदेश की राजधानी है । जैन समाज की दृष्टि से समूचे पूर्वाञ्चल में डीमापुर का प्रमुख स्थान है। यहां का दिगम्बर जैन समाज 245 परिवारों का समाज है। यहां पर अधिकांश परिवार खण्डेलवाल समाज के ही हैं जो सभी राजस्थानवासी हैं । जो विगत 10 वर्षों से धीरे-धीरे आकर बस गये हैं । डेह, बेरी, छपरा, किराड, नागौर, लाडनूं, सुजानगढ़, सीकर, राणौली, दांता जैसे ग्रामों से आकर यहां व्यवसाय करने लगे हैं। अब तो एक दो परिवार जयपुर (राजस्थान) के भी रहने लगे हैं । डीमापुर में सबसे अधिक सेठी गोत्र वाले परिवार हैं। इसके अतिरिक्त छाबड़ा, गंगवाल, कासलीवाल, बाकलीवाल, विनायक्या, अजमेरा, टौंग्या, पाटनी, पाण्ड्या आदि गोत्रों के परिवार भी अच्छी संख्या में है। यहां एक मन्दिर एवं दो गृह चैत्यालय हैं । सन् 1947 में डीमापुर में जैन मन्दिर की नींव लगी थी । सन् 1960 में पंडित पन्नालाल जी धर्मालंकार वैशाली के हाथों यहां वेदी प्रतिष्ठा सम्पन्न हुई । मन्दिर विशाल एवं दो तले का है जिसमें निर्माण कार्य बराबर चलता ही रहता है । जब लेखक वहां गया था तो पंचकल्याणक की तैयारियां चल रही थी वह पंचकल्याणक धूमधाम के साथ सम्पन्न भी हो चका है। . सारा समाज धार्मिक संस्कारों से सम्पन्न है । प्रति देवदर्शन, पूजाभिषेक आदि क्रियाओं के अभ्यस्त हैं। उस समय श्री शुभकरण जी सेठी दि. जैन समाज के अध्यक्ष थे । अन्य प्रमुख सज्जनों में सर्वश्री मांगीलाल जी शान्तिलाल जी छाबड़ा, रतनलाल जी विनायक्या, डूंगरमल जी गंगवाल, चैनरूप जी बाकलीवाल, कपूरचन्द जी सेठी, राजकुमार जी सेठी, सोहनलाल जी बाकलीवाल, पन्नालाल जी सेठी आदि के नाम उल्लेखनीय हैं। चैनरूप जी बाकलीवाल दि. जैन महासभा के कार्याध्यक्ष हैं तथा श्री मांगीलाल जी छाबड़ा धुव फण्ड ट्रस्ट अर्थ संग्रह कमेटी के अध्यक्ष हैं। यहां पर किशनलाल जी सेठी बहुत ही लोकप्रिय समाजसेवी थे जिनका 3-4 वर्ष पूर्व ही स्वर्गवास हुआ है। इसी तरह श्री नेमीचन्द जी सेठी अत्यधिक धार्मिक स्वभाव के व्यक्ति थे जिनकी भी अभी मृत्यु हो जाने से समाज की गहरी क्षति हुई है। श्री राजकुमार जी सेठी के पिताजी श्री फूलचन्द जी सेठी भी यहां के समाज के शिरोमणि थे जिनका भी 10-11 वर्ष पूर्व स्वर्गवास हो चुका है । डेह निवासी श्री सागरमल जी सबलावत सक्रिय युवक हैं और बेरोजगार युवकों को व्यापार आदि में लगाते रहते हैं । महासभा एवं स्थानीय संस्थाओं में वे सक्रिय योगदान देते रहते हैं । श्री डूंगरमल जी गंगवाल (जैन टायर्स) आतिथ्य में अत्यधिक कुशल हैं । लेखक को उनके निवास पर 10-12 दिन रहने का अवसर मिला। उनके पूरे परिवार का जो स्नेह मिला उसके लिये वह सदैव स्मरण रहेगा । आपका पूरा परिवार ही धार्मिक संस्कारों से सुशोभित रहता है।
SR No.090204
Book TitleJain Samaj ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages699
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Culture
File Size16 MB
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