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________________ 640/ जैन समाज का वृहद् इतिहास आपका जन्म 13 नवम्बर सन् 1923 में हुआ। आपके पिताजी स्व. दगरूराम जी आपको 9 महिने का ही छोड़कर स्वर्गवासी बन गये । आपकी माना ने ही आपको पाला पोसा । माताजी का स्वर्गवास सन् 1918 में 75 वर्ष की अवस्था में हो गया । आपने पूना के फर्गुसन कॉलेज से एम.ए.,एल.एल.बी.किया । प्रारंभ में सर्विस की लेकिन उसमें मन नहीं लगा। फिर मोटर एवं मोटर पार्टस का व्यवसाय करने लगे। मार्च सन् 1946 में आपका विवाह कोपर गांव में श्री पूनमचंद जी काला को पुत्री सुन्दर बाई से हुआ : जिनसे आपको तीन पुत्र एवं एक पुत्री के पिता बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। आपके ज्येष्ठ पुत्र श्री प्रदीपकुमार 43 वर्षीय युवा हैं। पत्नी का नाम रंजना है जो रांची के प्रकाशचंद जी पांड्या की सुपुत्री हैं। दो पुत्र एवं एक पुत्री की मां है । दूसरा पुत्र सुरेश कुमार बी.कॉम. हैं । पत्नी का नाम नयना है वह भी बी.कॉम. है । तथा महाराजा बहादुरांसह की सुपुत्री एवं राजकुमार सिंह जी कासलीवाल इन्दौर की सुपौत्री है। तीसरा पुत्र सुभाष लुहाड़िया की पत्नी का नाम छाया है । टोन पुत्रियों को मां है । आपको पुत्री पुष्पा इन्दौर के श्री देवकुमार सिंह जी कासलीवाल के सुपुत्र प्रदीप बाबू की पत्नी है। लुहाड़े जो स्थानीय एवं देश की अनेक संस्थाओं से जुड़े हुये हैं । दि.जैन महासमिति के उपाध्यक्ष हैं । इसके पूर्व दि. जैन महासभा के तपाध्यक्ष भी रह चुके हैं। भगवान महावीर का 25110 वा परिनिर्वाण महोत्सव, भगवान बाहुबली का सहस्त्राब्दि महामस्तकाभिषेक समारोह को सफल बनाने में पूरा योगदान दिया। स्थानीय व्यापारिक संगठनों के अध्यक्ष रह चुके हैं । शासकीय सलाहकार समितियों से भी जुड़े हुये हैं। आप स्व. आचार्य समन्तभद्र जी महाराज के प्रमुख शिष्य रहे । उनकी आज़ा को शिरोधार्य करके तीर्थ क्षेत्रों के कार्य में . रुचि लेने लगे। आपने प्रारंभ मे कारंजा, कुभोज बाहुबली एवं स्तनिधि गुरुकुलों में शिक्षा प्राप्त की । पं देवकीनंदन जी शास्त्री के शिप्य रहे तथा उन्हीं की आज्ञा से एलोरा में गुरूकुल स्थापित किया । हैदराबाद पंचकल्याणक प्रतिष्ठा समारोह में आपके पुत्र सुरेश बाबू इन्द्र के पद से अलंकृत हुये । पैठन में पानस्तंभ का निर्माण एवं हैदराबाद में केशरबाई के मंदिर के शिखर का निर्माण कराया । सिद्धचक्र मंडल विधान कराते ही रहते हैं। आप अपने व्यवसाय के लिए विदेश यात्रा करते ही रहते हैं। मुनिभक्त हैं। आ.विद्यासागर जी आ.समन्त भद्र जी एवं आ.विद्यानन्द जी महाराज को आहार दे चुके हैं। श्री सुरेश बाबू ने उनकी धर्मपत्नी ने एवं आपकी पुत्री सभी ने दशलक्षण व्रत के उपवास कर लिये हैं। लुहाड़े टी भारतीय स्तर के नेता हैं । आपसे समाज को बहुत आशायें हैं। पता : 3-5-539 हैदरगुढ़ा हैदराबाद - 29 पं. तनसुखलाल जी काला स्व तनमुपदलाल जी काला 21 वीं शताब्दी के महान समाजसेवी थे । वे मुनिराजों के सम्पर्क में रहा करते थे तथा सप्तम प्रतिमा के धारी थे । आपका संबंध अपने समय के सभी वरिष्ठ विद्वानों से था । आप ऐलक पत्रालाल दि. जैन सरस्वती भवन के सहायक मंत्री तथा गोपाल दि. जैन सिद्धान्त महाविद्यालय मोरेना के 40 वर्ष तक मंत्री एवं ट्रस्टी रहे। नागपुर प्रान्तीय खण्डेलवाल दि.जैन महासभा छिंदवाडा वार्षिक अधिवेशन के सभापति बनाये गये।
SR No.090204
Book TitleJain Samaj ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages699
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Culture
File Size16 MB
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