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जैन सम्पज का द्वारा
है। डॉ. भारिल्ल आकर्षक वक्तृत्व शैली के धनी हैं तथा तत्वों को समझाने की अनूठी प्रक्रिया अपनाते है। आप लेखनी के भी धनी है। बीसों पुस्तको के लेखक एवं सम्पादक है। अध्यात्म के विशेष प्रवक्ता माने जाते हैं। 15. डॉ. ए.एम. कालघाटगी : दक्षिण भारत में जैन विद्वानों में अमृत माधव कालघाटगी का स्थान सर्वोपरि है। आप प्राकृन्त, संस्कृत, कन्नड एवं अंग्रेजी के बड़े भारी वयोवृद्ध विद्वान है। कितनी ही पुस्नको के लेखक है। वीर निर्वाण भारती द्वारा आपका भी सम्मान हो चुका है। आपके ही अन्यतम साथी डॉ. घाटगे वर्तमान में प्राकृत शब्द कोष योजना पर कार्य कर रहे है। 16. डॉ. रमेशचन्द जैन, बिजनौर : डॉ. रमेशचन्द जैन, बिजनौर में वर्धमान जैन पी.जी. कॉलज में संस्कृत विभाग में प्रोफेसर हैं। जैन धर्म एवं सिद्धान्त के अच्छे ज्ञाता है। लेखनी एवं वक्तृत्व कला दोनों के धनी है। आपकी दिगम्बर जैन तीर्थ क्षेत्र अहिच्छेत्र, श्रावक धर्म आदि पुस्तके प्रकाशित हो चुकी है। 17. डॉ. भागचन्द जैन भास्कर, नागपुर : डॉ. भास्कर पाली-प्राकृत के शीर्ष विद्वान है। एम.ए. करने के पश्चात् आपने लंका जाकर बौद्ध साहित्य में जैन धर्म पर रिसर्च करके पीएच. डी. की उपाधि प्राप्त की। आप अच्छे वक्ता, लेखक एवं शोधक है। विदेशों में जाकर शोध-पत्र पढ़ चुके है। आपने जैन इतिहास और संस्कृति पर डी. लिट. प्राप्त की है। आपकी पत्नी पुष्पलता जैन भी हिन्दी जैन साहित्य की विदुषी है। 18.डॉ.जगदीशचन्द जैन, बम्बई : विगत आधी शताब्दी से डॉ. जैन प्राकृत एवं हिन्दी साहित्य पर काम कर रहे है। आप क्रान्तिकारी विचारधारा के विद्वान है। प्राकत भाषा का वहद इतिहास लिखकर आपने एक प्रशंसनीय कार्य किया है। आपने अब तक 65 से भी अधिक पुस्तकें लिखकर एक कीर्तिमान स्थापित किया है। वसुदेव हिण्डी एवं जैनागमों में भारतीय जीवन जैसी पुस्तकों के आप लेखक सम्पादक है। 19. श्रीमती सुमति बाई शाह : एक मात्र विदुषी महिला है जिनकी सेवाओं से प्रसन्न होकर भारत सरकार ने इन्हें पद्मश्री की उपाधि से अलंकृत किया है। श्राविकाश्रम शोलापुर की संचालिका श्रीमती सुमति बाई जी शाह विदुषी महिलाओं में प्रमुख स्थान प्राप्त है। दक्षिण भारत में आपका गौरवपूर्ण स्थान है। आप का अभिनन्दन ग्रंथ प्रकाशित हो चुका है। आपने पूर्वाद का सम्पादन एवं लेखन किया है। आपका अधिकांश साहित्य मराठी भाषा में प्रकाशित हुआ है। 20.डॉ.कस्तूरचन्द कासलीवाल, जयपुर : विगत 45 वर्षों से साहित्यिक क्षेत्र में संलग्न डॉ. कासलीवाल द्वारा लिखित एवं सम्पादित पुस्तकों की संख्या 70 तक पहुंच गई है। राजस्थान के जैन शास्त्र भण्डारी के सूचीकरण का आपका विशेष कार्य है। श्री महावीर ग्रंथ अकादमी की स्थापना करके उसके माध्यम से दस भाग प्रकाशित किये जा चुके है। इन भागों में 50 से भी अधिक हिन्दी जैन कवियों का परिचय प्रस्तुत किया गया है। आपके द्वारा लिखित "खण्डेलवाल जैन समाज का वृहद इतिहास" अभी दो वर्ष पूर्व प्रकाशित हुआ है। विद्वत् परिषद्, शास्त्री परिषद, वीर निर्वाण भारती जैसी संस्थाओं से सम्मानित हो चुके हैं।