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संस्थाओं के परिचय के साथ यहां के उपनगरों की जनसंख्या पर भी प्रकाश डाला है। जयपुर नगर जैन समाज का प्रमुख केन्द्र रहा है। इसलिये उन सभी 23 दिवंगत समाजसेवियों का संक्षिप्त परिचय दिया है जिन्होंने विगत 50 वर्षों में समाज सेवा के क्षेत्र में अपना कीर्तिमान स्थापित किया। इसके पश्चात् वर्तमान समाजसेवियों के जीवन एवं उनकी सेवाओं पर प्रकाश डाला गया हैं। जयपुर नगर में जैन समाज विशाल संख्या में हैं उनमें से हमने इस अध्याय के अन्तर्गत 195 यशस्वी समाजसेवियों का परिचय उपस्थित किया हैं।
जयपुर नगर के पश्चात् राजस्थान के अन्य जिलों का सामाजिक इतिहास एवं वहाँ के यशस्वी समाजसेवियों का संक्षिप्त सचित्र परिचय दिया गया है। सामाजिक इतिहास में परिवारों को संख्या एवं प्रमुख गांवों की सामाजिक स्थिति का
वर्णन किया गया हैं । प्रस्तुत इतिहास में जिले को ऐतिहासिक नामों से जोड़ा हैं और उन्हीं के नाम से सामाजिक परिचय दिया है। परिचय में उन सभी जैन जातियों का भी उल्लेख किया है जो उन प्रदेशों में प्रमुखता से रहती आ रही हैं 1 प्रदेशों के निम्न प्रकार शीर्षक रखे गये हैं:
जयपुर एवं दौसा जिला
सवाई माधोपुर, टोंक एवं अलवर जिला
हाडौती प्रदेश (कोटा बूंदी एवं झालावाड़ जिला)
मारवाड़ प्रदेश (जोधपुर, बीकानेर, जैसलमेर, सीकर जिले)
बागड़ एवं मेवाड़ प्रदेश (डुंगरपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़, उदयपुर, भीलवाड़ा जिला)
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अजमेर जिला
इस प्रकार राजस्थान का सामाजिक इतिहास एवं यशस्वी समाजसेवियों का परिचय 3200 पृष्ठों में समाप्त होता है ।
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बिहार प्रदेश राजस्थान के पश्चात् बिहार प्रदेश के जैन समाज का ऐतिहासिक परिचय दिया गया है तथा डाल्टनगंज, औरंगाबाद, रफीगंज, गया, पटना, कोडरमा, झूमरी तलैया, गिरडीह, सरिया, हजारी बाग, रांची एवं रामगढ केन्ट जैसे जैन समाज की दृष्टि से प्रमुख नगरों में समाज की स्थिति परिवारों की संख्या, जातियों की संख्या, मंदिरों की स्थिति आदि पर प्रकाश डाला गया हैं तथा इस प्रदेश के 95 यशस्त्री एवं समर्पित समाजसेवियों के व्यक्तित्व का वर्णन इतिहास का अंग बन गया है। बिहार का पूरा इतिहास 78 पृष्ठों में आंकत किया गया है। बिहार प्रदेश के एक भाग में नहीं जा सकने के कारण उसका यहां परिचय नहीं दिया जा सका जिसकी पूर्ति अगले खंड में की जावेगी ।
मालवा
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मध्यप्रदेश देश का बहुत बड़ा प्रदेश है और उसमें जैन समाज भी अच्छी संख्या में मिलता है। इसलिये इस प्रदेश के एक छोटे से भाग मालवा प्रदेश और उसमें भी इन्दौर, उज्जैन, लश्कर, बडबानी जैसे नगरों तक ही सामाजिक इतिहास को सीमित रखा हैं। लेकिन मालवा के उक्त तीन नगर सामाजिक इतिहास की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, प्रस्तुत इतिहास खण्ड के साथ वहां के कुछ समाजसेत्रियों का परिचय प्रस्तुत किया गया है। हम नहीं कह सकते कि हमारा यह इतिहास पूर्ण है बर तो केवल उसका अंशमात्र है।