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________________ 494/ जैन समाज का वृहद् इतिहास श्री रतनलाल गंगवाल ___ केकड़ी नगर परिषद् के तीन वर्ष तक सदस्य रहने वाले श्री रतनलाल गंगवाल समाज । के वयोवृद्ध समाजसेवी हैं । संवत् 1980 में जन्मे श्री गंगवाल ने सामान्य शिक्षा प्राप्त की और फिर व्यवसाय की ओर मुड़ गये। वर्तमान में आप रोड कन्ट्रक्टर का कार्य करते हैं । आपका सन् 1942 में कमला देवी जी के साथ विवाह हुआ जिनसे आपको पांच पुत्रों के पिता बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ । ज्येष्ठ पुत्र सुरेशचन्द जी आपके साथ ही ठेकेदारी का कार्य करते हैं। द्वितीय पुत्र रमेशचन्द जी सिंचाई विभाग में अभियंता है। सबसे छोटे पुत्र जितेन्द्र सी.ए. आपके पिताजी श्री चांदमल जी ने केकड़ी में सिद्धचक्र मंडल विधान कराया था तथा एक सिद्ध भगवान की प्रतिमा शांतिनाथ स्वामी के मंदिर में विराजमान की थी । यात्राओं के प्रेमी हैं । पता : रतनलाल रमेशचन्द जैन,ठेकेदार, केकड़ी (अजमेर) श्री रतनलाल बाकलीवाल लदेरा वाले मदनगंज किशनगढ़ की विभिन्न सामाजिक संस्थाओं से जुड़े हुये श्री रतनलाल जो बाकलीवाल का समाज में महत्वपूर्ण स्थान है आपके पूर्वच संदेश धाम से मनजिकिदानमद सागर जी महाराज में व्यवसाय के लिये आकर रहने लगे और वहीं के निवासी बन गये । आपका शुद्ध धार्मिक जीवन है । विगत 35 वर्षों से शुद्ध खानपान का नियम है । कट्टर मुनि भक्त हैं । मुनिराजों को आहार देकर पुण्य लाभ लेते हैं। प्रतिवर्ष साधुओं के संधों में 1-2 महिने के लिये जाते हैं। प्रतिदिन पूजा अभिषेक करने का नियम है । बाकलीवाल जी का सामाजिक जीवन भी उल्लेखनीय है । पंच कल्याणक महोत्सव के आप स्वागताध्यक्ष थे । के डी. जैन हायर सैकण्डरी विद्यालय के गत 35 वर्षों से कोषाध्यक्ष हैं तथा मुनिसुव्रत दि.जैन चैत्यालय पंचायत के भी कोषाध्यक्ष रह चुके हैं तथा वर्तमान में इसी समाज के अध्यक्ष हैं । सन् 1984 में आयोजित पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव में इन्द्रों की बोलियां लेकर अपनी धार्मिक भावना प्रकट की। आपके पूर्वजों ने लदेरा प्राम में दि.जैन मंदिर का निर्माण कराया था। मदनगंज में स्थित मुनिसुव्रतनाथ चैत्यालय में आदिनाथ स्वामी की मूर्ति विराजमान करने का यशस्वी कार्य किया। वहां के जैन भवन में एक कमरे का निर्माण करवाया । आपका जन्म आषाढ़ सुदी 10 संवत् 1985 को हुआ। आपके पिताजी श्री वीझालाल जी का स्वर्गवास 12 दिसम्बर 1988 को एवं माताजी नारंगीदेवी का सन् 1979 में स्वर्गवास हो चुका है। संवत् 2007 में आपका विवाह हुआ। आपकी धर्मपत्नी श्रीमती जानकीदेवी के 4 पुत्र कैलाशचन्द्र,रमेशचंद,प्रदीप एवं दिनेश तश्या चार पुत्रियां संतोष निर्मला, पुष्पा, राजू की जननी है। सभी पुत्र व्यवसाय में लगे हुये हैं । सभी पुत्रियों का विवाह हो दुका है ।
SR No.090204
Book TitleJain Samaj ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages699
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Culture
File Size16 MB
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