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________________ 4224 जैन समाज का वृहद् इतिहास नागौर के पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव में अंगदेश के राजा बनकर सम्मान प्राप्त किया। आपकी धर्मपत्नी ने शिखर बी में,निवाई में मूर्ति एवं यंत्र बनवाकर विराजमान किये हैं । पता : गणपतराय सबलावत, मु.पो. डेह,(नागौर) श्री गुलाबचंद अजमेरा पांचवा ग्राम के प्रतिष्ठित समाजसेवी श्री गुलाबचंद अजमेरा का जन्म 1 अक्टूबर, 1949 को हुआ। आपके पिताजी श्री हीरालाल जी अजमेरा का करीब 14 वर्ष पर्व ही स्वर्गनास हुआ है । आपकी माताजी की छत्रछाया अभी प्राप्त है । उनकी आयु 80 के करीब है। सन् 1950 में अजमेर बोर्ड से मैट्रिक परीक्षा पास करके आप नमक उत्पादन एवं विक्रय का कार्य करने लगे। उनका सन् 1957 में प्रथम एवं सन् 1968 में दूसरा विवाह हुआ। दूसरी पत्नी का नाम निर्मलादेवी है। जिनसे आपको तीन पुत्र सर्व श्री राजेश, ललित एवं दिनेश तथा एक पुत्री किरण के पिता बनने का सौभाग्य प्राप्त हो चुका है। पुत्री का विवाह हो गया है तथा तीनो ही पुत्र उच्च अध्ययन कर रहे र हैं। आपके एक छोटा भाई विमल कुमार है जो आप हो के साथ काम करते हैं तथा तीन पुत्री एवं को दो पुत्रों के पिता हैं। आपके पिताजी श्री हीरालाल जी ने पांचवा में सन्मति दि.जैन औषधालय की नींव लगाई और उसके निर्माण में योग दिया। श्री पार्श्वनाथ दि.जैन विद्यालय पांचवा के पांच वर्ष तक संचालन में पूरा व्यय वहन किया और वर्तमान में उसमें आप सहयोग दे रहे हैं। पांचवा ग्राम की सभी विकास योजनाओं में बराबर योगदान करते रहते हैं। पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव में पूर्ण सहयोग दिया था। उसमें इन्द्र वनने का सौभाग्य प्राप्त किया । पुनिभक्त हैं तथा आहार आदि से सेवा करते रहते हैं। आपकी माताजी के शुद्ध खान-पान का नियम है। पता : 1- गुलाबचंद अजमेरा,मु.पो. पांचवा (नागौर) 2- पाटडी (सुरेन्द्रनार) गुजरात श्री गुलाबचंद छाबड़ा राणोली के वयोवृद्ध समाजसेवी श्री गुलाबचंद छाबड़ा का जन्म श्रावण सुदी पूर्णिमा संवत 1977 को हुआ। आपके पिताजी का स्वर्गवास संवत् 164) में ही हो गया था । आपकी माताजी श्रीमती धापा बाई का अभी आशीर्वाद प्राप्त है । सामान्य शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात् आप वस्त्र व्यवसाय करने लग गये। आप पांच पुत्रों से अलंकृत हैं। जिनमें ज्येष्ठ पुत्र श्री ज्ञानचंद को स्वयं की भिवाड़ी में फैक्ट्री है तथा दीपचंद,शांतिलाल, अमरचंद एवं महेन्द्र कुमार सभी बंबई में कारोबार करते हैं । छाबड़ा जी धार्मिक प्रकृति के एवं उदारमना समाजसेवी है। कट्टर मुनिभक्त हैं । आपने एक बार आचार्य धर्मसागर जी के संघ को सीकर से अलवर तक विहार करवाया था। इसी तरह आप मुनि श्री विजयसागर जी का राणोली में दो बार चातुर्मास
SR No.090204
Book TitleJain Samaj ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages699
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Culture
File Size16 MB
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