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________________ 420/ जैन समाज का वृहद् इतिहास श्री कंवरीलाल बोहरा आनन्दपुर कालू के निवासी श्री कंवरीलाल बोहरा का जन्म आसोज सुदी 12 संवत् 1.982 को हुआ। आपके पिता श्री सुवालाल जी का सन् 1976 में तथा माताजी का भी उसी वर्ष स्वर्गवास हुआ था। सामान्य शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात् आप व्यापारिक लाइन में चले गये। जिसमें आपको विशेष सफलता मिली है। संवत् 1998 में फाल्गुण सुदी 2 को श्रीमती कंवला देवी के साथ विवाह हुआ। जिनसे आपको दो पुत्र तेजराज एवं महावीर प्रसाद तथा दो पुत्री नैना एवं इन्द्र की प्राप्ति हुई। दोनों ही पुत्र बी.कॉम. हैं । ज्येष्ठ पुत्र इच्छलकरण जी में व्यवसाय करते हैं। श्री बोहरा जी ने बधेरा पंचकल्याणक में ईशान इन्द्र बनने का श्रेय प्राप्त किया । जम्बूद्वीप ज्ञान ज्योति में सौधर्म इन्द्र की बोली ली थी। आपने महासभा के गोहाटी अधिवेशन में भाग लिया तथा महासभा के 11111/- के सदस्य बने । आप अपने ग्राम आनन्दपुर काल के नये मंदिर के वर्षों तक व्यवस्थापक रहे हैं। आपके शुद्ध खानपान का नियम है जिसे उन्होंने स्त्र आचार्य धर्मसागर जी से लिया था। आचार्य कल्प श्रुतसागर जी महाराज के चातुर्मास समिति के मंत्री रहे । अपने ही गांव में हास्पिटल बिल्डिंगवनना कर राज्य सरकार को दिया जो सुवालाल कंवरीलाल बोहरा राजकीय चिकित्सालय के नाम से चल रहा है । आपके ज्येष्ठ पुत्र द्वारा नये मंदिर में भगवान पहावीर की धातु की प्रतिमा विराजमान की थी। आपकी समाज सेवा में विशेष रुचि रहती है। पता : आनन्दपुर कालू (पाली) श्री किशनलाल पहाड़िया कुचामन नगर के वयोवृद्ध समाजसेवी श्री किशनलाल पहाड़िया अपनी धार्मिक प्रवृत्तियों,आचार-विचार एवं उदार स्वभाव के लिये प्रसिद्ध है । आपका जन्म फाल्गुन सुदी संवत् 1960 में हुआ। सामान्य शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात् आप वस्त व्यवसाय में चले गये। आपके पिताजी श्री सुगनचन्द जी एवं माताजी श्रीमती सरदार बाई का बहुत पहिले स्वर्गवास हो गया था । 15-16 वर्ष की आयु में आपका विवाह श्रीमती गुणमाला देवी के साथ हो गया । श्रीमती गुणमाला देवी का स्वर्गवास अभी 80 वर्ष की आयु में हो गया है । पहाड़िया जी को एक पुत्र श्री नेमीचंद एवं पाच पुत्रियां ताराबाई, चूकीबाई,चांदबाई,कंचनवाई एवं पांची बाई के पिता बनने का सौभाग्य प्राप्त है। आपने कुचामन पंचकल्याणक में इन्द्र की बोली ली थी तथा नागौरी नशियों में आपकी मां ने पूर्ति विराजमान करने का संकल्प लिया है । विगत 50 वर्षों से आप शुद्ध खानपान का नियम पालन कर रहे हैं। आपके द्वारा कुचामन में सन् 1857 में जैन भवन का निर्माण करवाकर किशन लाल पहाड़िया चेरिटेबिल ट्रस्ट के अधीन कर दिया।
SR No.090204
Book TitleJain Samaj ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages699
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Culture
File Size16 MB
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