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________________ 408/ जैन समाज का वृहद इतिहास आपके पिताजी चल बसे । आपकी माता श्रीमती गट्टबाई का अभी आशीर्वाद प्राप्त है । आप, आपकी धर्मपत्नी एवं माताजी सभी के शुद्ध खानपान का नियम है । वर्तमान में आप दि.जैन मन्दिर शान्तिनाथ स्वामी रामगंजमंडी के ट्रस्टी हैं। आपके बाबाजी श्री नन्दलाल जी की धार्मिक कार्यों में पूर्ण रुचि रहती थी। रामगंजमंडी के शान्तिनाथ स्वामी के मन्दिर निर्माण करवाने में आपने पूर्ण सहयोग दिया था तथा पास ही में स्थित रातादेवी की पहाड़ी में स्थित अरहनाथ,शान्तिनाथ,कुंथनाथ की प्रतिमायें एवं सहस्कूट चैत्यालय को लाकर यहां स्थापित किया। 1. आपके ज्येष्ठ पुत्र श्री पवनकुमार 46 वर्ष के हैं । बी.कॉम हैं । पत्नी का नाम सुलोचना है । एक पुत्र एवं चार पुत्रियों के पिता हैं। 2.द्वितीय पुत्र श्री जम्बूकुमार सी.ए. हैं । एच.एम.टी. अजमेर में लेखाधिकारी हैं । उनकी पत्नी श्रीमती मधू भी एम.ए. हैं। एक पुत्र एवं एक पुत्री की माता हैं । 3.तीसरे पुत्र श्री कमल कुमार 33 वर्ष के हैं। वी.कॉम,एल.एल.बी. हैं । पत्नी का नाम संगीता है जो एम. ए. है । एक पुत्र के पिता हैं। 4. चतुर्थ पुत्र श्री प्रदीप कुमार 30 वर्षीय हैं,युवा हैं,बी.एस.सी.हैं। सन् 1980 में राजस्थान विश्वविद्यालय से प्रथम श्रेणी में पास कर चुके हैं। पता- राजमल, पदमकुमार,बाजार नं.9, रामगंजमंडी,(कोटा) श्रीमती लादेवी कोठारी श्रीमती लाड़देवी कोठारी कोटा (राजस्थान) महिला समाज में बहुचर्चित एवं लोकप्रिय महिला हैं अपने उदार एवं मानव सेवा भावी स्वभाव के कारण वे सब की प्रशंसा की पात्र बन गई हैं । विनम्रता एवं दयाशीलता उनके जीवन के विशिष्ट गुण माने जाते हैं सबको साथ लेकर चलने में उन्हें असीम प्रसत्रता होती है तथा जनकल्याण के कार्यों को सम्पादित करने में वे सब से आगे रहती है। राजस्थान में बून्दी जिले के हिन्डोली ग्राम में जन्मी लाइदेवी सामाजिक सेवा की प्रतिमूर्ति श्री त्रिलोकचंद जी कोठारी को धर्मपली हैं जिन्हें घर में आने वाले अतिथियों का स्वागत करने में बड़ा आनन्द आता है। प्रतिदिन पूजा पाठ करना तथा साधु संतों की सेवा सुश्रुषा में लगे रहना उन्हें अच्छा लगता है वे पचासों महिलाओं से जुड़ी रहना चाहती है इसलिये पदयात्रा में उनको विशेष रुचि रहती है । अभी तक वे सैकड़ों महिलाओं को साथ लेकर कोटा से दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र केशोरायपाटन तक 5 बार पदयात्रा कर चुकी हैं । तथा दो बार कोटा से 110 कि.मी.दूरी पर स्थित चांदखेडी क्षेत्र की भी पदयात्रा कर चुकी हैं । यात्रा में उन्होंने सभी महानुभावों की दिल खोलकर अपनी तरफ से सर्व प्रकार के साधन जुटाते हुये जो सेवा सुश्रुषा की है वह सराहनीय है। श्रीमती लाइदेवी कोठारी मुनिराजों एवं आर्यिका माताओं की सेवा करने में सदैव तत्पर रहती हैं। प्रतिवर्ष मुनि संघों के दर्शनार्थ जाना वथा संघ को आर्थिक सहयोग देना अपना कर्तव्य समझती हैं मुनिसंघों के विहार में बराबर सहयोग देती रहती
SR No.090204
Book TitleJain Samaj ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages699
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Culture
File Size16 MB
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