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________________ राजस्थान प्रदेश का जैन समाज /379 ___ आपके पिताजी श्री लोडूलाल जी एवं माता एजनदेवी दोनों का स्वर्गवास हो चुका है। आपके डीजल इंजन. माटर मशीनरी पार्ट्स का व्यवसाय है। पत्ता : वार्ड नं.11 मकान नं.197 निवाई (टौंक) श्री सौभागमल बड़जात्या बिलासपुरिया बिलासरमा उपनान में प्रसि श्री सोपानमत जी बड़जात्या के पुत्र श्री पारसमल बड़जात्या 54 वर्ष के है तथा कपड़े की दुकान करते हैं। सौभामल जी तेरहपंथी नशियांजी मंदिर में पूजा अभिषेक करते हैं उसी मंदिर (नशिया) में पारसमल जी भी जाते सौभागमल जी के तीन पुत्रियां श्रीमती सुशीला,शकुन्तला एवं तारादेवी हैं। तीनों ही विवाहित | " T हैं। __ आपके एक मात्र पुत्र पारसमल जी ने इन्टरमीजियेट तक शिक्षा प्राप्त की। आपके । 7 पुत्र कमलचंद,विमलकुमार,खेमचंद,इन्दरमल, संजयकुमार, गजेन्द्रकुमार एवं प्रकाशचंद्र हैं। इनमें विमलकुमार राज.बैंक सेवा में हैं। आपकी एक मात्र पुत्री सुशीलादेवी का विवाह हो चुका है। आपने तेरहपंथी नशियां में आदिनाथ स्वामी की प्रतिमा विराजमान की थी । यात्राओं में विशेष रुचि लेते हैं । 2-3 बार सभी यात्रायें कर ली है। मुनिपक्त है । मुनिराजों को आहार देने में गहरी रुचि रखते हैं। पता :- फूलचंद सौभागमल वस्त्र व्यवसायी,सुभाष बाजार,ौंक । श्री स्वरूपचंद गंगवाल सर्राफ मालपुरा के वयोवृद्ध एवं प्रतिष्ठित समाज नेता श्री स्वरूपचंद गंगवाल विशाल व्यक्तित्व के धनी है। आपके पिता श्री सूरजमल जी पहिले सिराणा (अजमेर) रहते थे वहां से किशनगढ आये और आप किशनगढ से मालपुरा आकर रहने लगे। आपकी माताजी श्रीमती चायदेवी का 15 वर्ष पूर्व ही निधन हो गया। आपका जन्म 4 जून, 1919 को हुआ । सामान्य शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात् आप सर्राफी का व्यवसाय करने लगे 1 संवत् 2004 में आपका बादाम बाई के साथ विवाह हुआ । आपके एक मात्र पुत्र पदमचन्द का जन्म 26 नवम्बर को हुआ। उसकी पली का नाम कंचनदेवी है। केचनदेवी चार पुत्रों,प्रदीपकुमार, अमेन्द्र कुमार, जितेन्द्र कुमार एवं मनोजकुमार की मां है । आपके दो भाई मदनलाल जी,एवं नरेशचंद जी किशनगढ़ मदनगंज में रहते हैं तथा चांदी सोने के व्यापारी हैं। श्री स्वरूपचंद जी मालपुरा नगरपालिका के 7 वर्ष तक सदस्य रहे । कुछ समय तक आप चेयरमैन भी रहे । मालपुरा के प्रसिद्ध आदिनाथ स्वामी के मंदिर की कार्यकारिणी सदस्य हैं। सभी प्रमुख तीर्थो पदमपुरा, चाँदखेड़ी जम्बूस्वामी, सोनागिर, चम्पापुर भागलपुर,पावापुर, नयनागिरी, गुणावा, पारसपुर,छतरपुर एवं देवगढ़ में स्थायी पूजन के सदस्य,महासभा के सक्रिय सदस्य हैं। पहिले खंडेलवाल जैन महासभा के सदस्य रहे । पुरानी एवं नई पीढी के पंडितों के खूब संपर्क में रहे। आचार्य
SR No.090204
Book TitleJain Samaj ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages699
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Culture
File Size16 MB
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