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________________ 356/ जैन समाज का वृहद इशिहास पूरे जिले में 100 गाँवों एवं नगरों में जैन परिवार रहते हैं । यहां सन् 1974 मे एक विशाल पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव का आयोजन हो चुका है । टौंक तहसील में आवां कस्बा है जहाँ सभी परिवार बघेरवाल समाज के हैं। यहाँ के मंदिर में संवत् 1593 में प्रतिष्ठित शांतिनाथ स्वामी की अतिशययुक्त प्रतिमा है तथा टेकरी पर भट्टारक जिनचन्द्र, शुभचन्द्र एवं प्रभाचन्द्र की तीन निषेधिकायें जैन समाज के इतिहास को गरिमामय बना देती है। निवाई टौक जिले का व्यापारिक नगर है जहाँ दिगम्बर जैन समाज की भी अच्छी बस्ती है। यहाँ के खण्डेलवाल एवं अग्रवाल दि. जैन परिवारों की संख्या 250 होगी। यहाँ आचार्यों एवं साधुओं का विहार होता ही रहता है । यहाँ के निवासियों में साधुओं के प्रति अपार भक्ति रहती हैं । यहाँ चार मंदिर एवं दो चैत्यालय हैं । शहर के बाहर के मंदिर में विशाल मानस्तंभ है जिसका निर्माण इन्हीं पचास वर्षों में हुआ है । निवाई तहसील में चनाणी, राहुली, झिलाय, पराणा, पहाड़ी गाँवों में जैन परिवार अच्छी संख्या में बसे हुये हैं। देवली तहसील में सबसे अधिक दि. जैन समाज देवली कस्बे में ही रहता है । अग्रवाल एवं खण्डेलवाल दि. जैनों के करीब 200 घर है। दो मंदिर हैं। सरावगी समाज में यहाँ एक बार सामूहिक विवाहों का आयोजन हो चुका है । देवली के अतिरिक्त दूनी, राजमहल, नासिरदा, नगर, जैसे गाँवों में जैनों के अच्छी संख्या है। मालपुरा तहसील मे भी जैनों की सघन बस्ती है । स्वयं मालपुरा में दोनों समाजों के करीब 200 परिवार है । नगर में 6 मंदिर हैं, पांच चैत्यालय, एक नशियां, 'तीन धर्मशालायें एवं एक पांडुकशिला है । कुछ मंदिर तो अत्यधिक विशाल हैं । एक मंदिर आदिनाथ स्वामी का है जिसकी अतिशय क्षेत्रों मे गिनती है । भगवान आदिनाध स्वामी की प्राचीन एवं मनोज्ञ प्रतिमा है जिसके दर्शनार्थ प्रतिदिन बाहर से भी सैंकड़ो व्यक्ति आते है । मालपुरा के अतिरिक्त डिग्गी, लाम्बा हरिसिंह, चांदसेन, लावा, पचेवर. पारली में भी जैन समाज की अच्छी स्थिति हैं । पचेवर का जैन समाज अत्यधिक धार्मिक समाज है तथा वहां के युवकों में सामाजिक कार्यों के प्रति पर्याप्त रुचि है। उणियारा (टोंक) में जागीरदारी गांव है। वर्तमान में यहाँ तहसील है। यहां का महावीर स्वामी का मंदिर सरावगियों द्वारा निर्मित है । यहाँ खण्डेलवाल जैन समाज का बाहुल्य है । यहाँ पर वीर निर्वाण संवत् 2487 (सन् 1950 में) एक विशाल पंचकल्याणक प्रतिष्ठा का आयोजन हो चुका है । टोडारायसिंह रौक जिले का प्राचीन नगर है जो पहिले तक्षक गढ़ के नाम से जाना जाता था। यहां का आदिनाथ एवं नेमिनाथ का मंदिर विशाल एवं कलापूर्ण है । नेमिनाथ स्वामी के मंदिर को रेण का मंदिर कहा जाता है जहाँ छोटे-छोटे शास्त्र भडार भी हैं । यहाँ भी भट्टारक प्रभाचन्द्र की निधिका है । जिस पर संवत् 1589 का लेख अंकित है। यहाँ पांच मंदिर हैं शहर में तथा एक मंदिर मंडी में है इस तरह कुल 6 जिन मंदिर हैं। जिनमें चार खण्डेलवाल पंचायत व दो अग्रवाल पंचायत की व्यवस्था है । इसके अतिरिक्त यहां के पहाड़ पर एक नशियाँ है
SR No.090204
Book TitleJain Samaj ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages699
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Culture
File Size16 MB
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