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________________ 338/ जैन समाज का वहद इतिहास हैं। श्री कपूरचन्द जी एवं उनकी धर्मपत्नी के शुद्ध जल प्रहण करने का नियम है । वीरसागर जी महाराज के चातुर्मास में आप दोनों का बहुत सहयोग रहा था । श्री कपूरचन्द जी को भारतीय दि.जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी की ओर से तीर्थ रथ वंदना में सक्रिय सहयोग देने के लिये 20-9-87 को प्रशस्ति पत्र दिया गया था। पता - कुसुम निवास,शट बाजार, बुहरानपुर (मप्रदेश) श्री कैलाशचन्द काला पिता - श्री माणकचन्द जी काला पितामह - श्री गुलाबचन्द जी काला दोहते - सीकर के दीवान श्री भंवरलाल जी माता - श्रीमती छगनकंवर - 70 वर्ष जन्मतिथि - मंगसर सुदी 10 सम्वत् 1993 शिक्षा - इन्टर मिडियर सन् 1955 में अजमेर बोर्ड गाजपथान से उत्तीर्ण । व्यवसाय - नमक उत्पादन - आयोडीनयुक्त नमक के निर्माता । विवाह तिथि - 5 मई,1955 पत्नी का नाम - श्रीमती तारादेवी परिवार - पुत्र तीन 1- वर्धमान एम.कॉम.पली श्रीमती कुसुम बी.ए. 2. सुशील बी कॉम. पत्नी श्रीमती प्रेम सैकेण्डरी 3- निर्मल एम.कॉम. पत्नी - श्रीमती उषा बी.ए. तीनों ही नमक उत्पादन के कार्य में संलग्न पुत्री एक निर्मला - हायर सैकेण्डरी पौत्र चार - नवनीत, सन्मति, सुकुमाल,महावीर पौत्री एक किरण विशेष : आपके बाबा स्व.श्री गुलाबचन्द जी काला समाज के अत्यधिक प्रतिष्ठित सदस्य थे। वे जागीरदार थे। सन् 1922 में उन्होंने सांभर पुस्तकालय को स्थापना की और उसकी आर्थिक दृष्टि से नींव सुदृढ़ की । वे दानशील स्वभाव के थे। बम्बई में भूलेश्वर कालबादेवी रोड स्थित दिगम्बर जैन मन्दिर में विद्यमान चांदी की चंवरी का निर्माण सन् 1935 में करवाया था। सांभर के सभी मंदिरों एवं सामाजिक संस्थाओं में आप का पूर्ण आर्थिक सहयोग रहता था य सामाजिक कार्यों में आगे रहते थे।
SR No.090204
Book TitleJain Samaj ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages699
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Culture
File Size16 MB
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