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________________ 240/ जैन समाज का वृहद् इतिहास श्री ज्ञानचन्द जी शांतिप्रिय जीवन व्यतीत करने में विश्वास करते हैं । तीर्थ यात्रा प्रेमी हैं। पता: 2124, खेबडे का रास्ता,चांदपोल बाजार,जयपुर । श्री ज्ञानचन्द झांझरी सन् 1941 में जन्में श्री ज्ञानचन्द झाझरी जयपुर जैन समाज के उदीयमान समाजसेवी हैं। समाज सेवा की लगन उनको अपने पिता श्री मालचन्द जी झांझरी से विरासत में मिली। लेकिन उसमें आप वृद्धि कर रहे हैं। स्व. श्री मालचन्द जी झांझरी जयपुर की प्रायः सभी सामाजिक संस्थाओं से जुड़े हुए थे तथा वे अपने समय के ख्याति प्राप्त समाजसेवी थे। श्री ज्ञानचन्द झांझरी हायर सैकण्डरी के पश्चात् लोह व्यवसाय में पिता श्री का साथ देने लगे। 30 जून 19461 को आपका विवाह श्रीमती कमलादेवी के साथ संपन्न हुआ। आपको तीन पुत्रियां एवं एक पुत्र के पिता बनने का सौभाग्य प्राप्त है। श्री झांझरी जयपुर की अधिकांश संस्थाओं से जुड़े हुये हैं। पार्श्वनाथ युवा मंडल बापू नगर के 7.8 वर्ष तक अध्यक्ष रह चुके हैं । राजस्थान जैन सभा, महावीर हायर सैकण्डरी स्कूल,पदमपुरा क्षेत्र कमेटो,बापू नगर जैन समाज, जयपुर चैम्बर आफ कामर्स जैसी संस्थाओं की कार्यकारिणी सदस्य हैं तथा क्रियाशील रहकर सभी संस्थाओं में काम करते हैं। अभी आप अमेरिका में आयोजित पंच कल्याणक प्रतिष्ठा में सम्मिलित हुये हैं। आपने भागलपुर, चम्पापुर नाथ नगर में कमरे का निर्माण, राणोली में जैन भवन में एक कमरे का निर्माण, पदमपुरा में कमरे का निर्माण,बापू नगर चैत्यालय में नवीन वेदी का निर्माण करवाकर अपनी धार्मिक प्रवृत्ति का परिचय दिया है । पता : बी 101, वर्धमान यूनिवर्सिटी मार्ग बापूनगर,जयपुर। श्री टीकमचन्द जैन पहाड़िया कोटा नगर में ] अप्रेल 1923 को जन्में श्री टीकमचन्द जैन का विद्यार्थी जीवन स्वतंत्रता आंदोलन प्रिय रहा है । सन् 1942 में पढ़ाई लिखाई छोड़कर स्वतंत्रता की लड़ाई में कूद पड़े और जेल की हवा खाई। इसके पश्चात एम.ए.(अर्थशास्त्र) एवं राजनीतिशास्त्र) एवं एल एल बी.करने के पश्चात् राजकीय सेवा में प्रवेश किया और अन्त में राजकीय अधिकारी के पद से निवृत्त होकर वर्तमान में श्रम सलाहकार के पद पर कार्यरत है। श्री जैन के श्रम समस्याओं पर अनेक लेख प्रकाशित हुये हैं तथा कितनी ही बार अन्तर्राष्ट्रीय लंदन एवं यूरोप,थाइलैण्ड, जापान, दक्षिण कोरिया, हांगकांग, संयुक्त राज्य अमेरिका में वर्ष 1959, 1983, 1984, 1985 एवं 1987 में राजकीय उपक्रमों एवं सेमिनारों में भाग लेने के लिये जा चुके हैं । लेबर कानून के आप विशेपज्ञ माने जाते हैं। स्वतंत्रता सेनानी के रूप में आपको राजस्थान सरकार द्वारा 13 अप्रैल को ताम्र पत्र भेंट कर सम्मानित किया जा चुका पता : 1237, अजबघर का रास्ता,किशनपोल,जयपुर।
SR No.090204
Book TitleJain Samaj ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages699
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Culture
File Size16 MB
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