SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 199
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 1821 जैन समाज का वृहद् इतिहास TAE 4 श्री हंसराज पाण्ड्या जन्मतिथि :17 सितम्बर, 1928 शिक्षा : बिडला कालेज पिलानी से 1947 में बी.कॉम. किया तथा हिन्दी में विशारद डिप्री भी प्राप्त की। माता-पिता: चम्पालाल जी पाण्डया। आपका स्वर्गवास:50 वर्ष पहआजब आप सागज जो ज 32 वर्ष के थे लेकिन पाताजी की मृत्यू जब पिताजी ३० वर्ष के थे.तभी हो गई थी। आपके पिताजी श्री चम्पालाल जी, सदासुखजी,रायसाहब तनमुखराय जी एवं बालचन्द जी चार भाई थे। परिवार : आप चार भाईयों - श्री नेमीचन्द,माणकचन्द, हंसराज,बच्छराज में से प्रथम दो का स्वर्गवास हो चुका है। __ व्यवसाय : पेट्रोलियम एवं ऑटोमोबाईल्स विवाह : 16 वर्ष की आयु में सन् 1944 में आपका विवाह गुणमाला देवी से सम्पन्न हुआ। सन्तान: आप दोनों को एक पुत्र एवं दो पुत्रियों के माता-पिता बनने का सौभाग्य प्राप्त है | आपका एकमात्र पुत्र निहाल जैन बी कॉम है । विवाहित है तथा उनके दो पुत्र आदित्य एवं अतिशय जैन हैं । दोनों पुत्रियाँ राजकुमारी एवं सन्तोष का विवाह हो चुका है। गुणपाला धर्मपली श्री हंसराज विशेष : हंसराज जी पाण्डया का जीवन पर्णतः धार्मिक एवं सामाजिक है । वरपेटा पाण्ट्या रोड, हस्तिनापुर लाइन पंचकल्याणक प्रतिष्ठाओं में आप इन्द्र के पद से सुशोभित हो चुके हैं। आपके घर में ही चैत्यालय है । चैत्यालय में सभी प्रतिमायें आपने प्रतिष्ठित करवाकर विराजमान को है । आप दोनों समस्त तीर्थों को दो बार वन्दना कर चुके हैं। सुजानगढ़ की दि. जैन नशियां में चौबीस वेदियों में से एक वेदी का आपने निर्माण करवाया तथा उसमें मूर्ति विराजमान करने का यशस्वी कार्य किया । चूलगिरि जयपुर में भी आपने एक पद्मासन पूर्ति विराजमान की है। पिछली बड़ी यात्रा के दौरान मांगीतुंगी सिद्धक्षेत्र में मुनिवर श्री श्रेयांससागर जी की प्रेरणा से तलहटी में स्थित प्राचीनतम मन्दिर का “अतिशय श्री 108 विश्वहितंकर भगवान पार्श्वनाथ मन्दिर" नामकरण उद्घाटन समारोह आपके द्वारा किया गया। सामाजिक मेघालय प्रान्तीय महासभा के उपाध्यक्ष हैं। आपकी धर्मपत्नी धार्मिक स्वभाव की महिला हैं । मुनिभक्त हैं। मुनिराजों को आहार देकर उनको खूब सेवा करती हैं। आसाम में आपके पूर्वज सन् 1860 में आकर रहे इस प्रकार आपका परिवार यहां 130 वर्ष पूर्व का निवासी है। पता : आसाम ऑटो एजेन्सीज जवाई रोड, शिलांग (मेघालय)
SR No.090204
Book TitleJain Samaj ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages699
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Culture
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy