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________________ पूर्वाचल प्रदेश का जैन समाज /177 प्रमुख थे । उन्होंने अपने जीवन की घटना सुनाई थी - जब वे यहां आये तो खाने-पीने का कोई साधन नहीं था । उन्होंने चावलों की पोटली बनाई। मिट्टी खोदो और उस पर अग्नि जलाई । जब चावल पक गये तो खाकर अपनी भूख मिटाई । जब वे यहां आये तो महाराजा ने उनका खूब सम्मान किया था । जब वे मणिपुर से अपने देश जाया करते तो सभी परिवार उनको विदायगी के 2 रूपये प्रति परिवार देते और बड़े स्नेह से उनको विदा करते थे। सम्पतराय सहित पांच भाई है. महावीर प्रसाद जी (40 वर्ष) पदमचन्द जी (35 वर्ष) महीपाल - बी.कॉम. दत्तक गये. यशपाल बी.ए., एल.एल.बो. (.) वर्ष)। सभी मोटर पार्टस का व्यवसाय करते हैं। परिवार के सदस्य अमर मल जी पिता श्री राम्पत राय ज: पहाड़िया चांद देवी माताश्री सम्पत राय जी पहाड़िया अनोपदेवी धर्मपत्नी श्री सम्पत राय पहाडिगा पता • पहाडिया आंटो डिस्ट्रीब्यूटर्स, घांगल बाजार,इम्फाल (मणिपुर) श्री सागरपल सरावगी चूडीवाल गदिया जन्मतिथि : काल्गुन सुदी : संवत 1987 शिक्षा : सामान्य ध्यवसाय : जूट का व्यापार माता-पिता : पिता श्री हरकचन्द जी सरावगी - आपका 69 वर्ष की आयु में सन् 1978 में स्वर्गवास हुआ था । माताजी श्रीमती आणची बाई का स्वर्गवास सं. 1999 में हो गया उस समय आयु केवल 12 वर्ष मात्र थीं। विवाह : संवत 2005 में श्रीमती बनारसी देवी के साथ विवाह हुआ।
SR No.090204
Book TitleJain Samaj ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages699
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Culture
File Size16 MB
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