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________________ 1721 जैन समाज का वृहद् इतिहास विशेष : आप दोनों विजरानगर पंचकल्याणक प्रतिष्ठा में इन्द्र के पद से सुशोथित हये थे। अपने नाम घोबलाई में जिन मन्दिर का निर्माण करवाया है । महासभा के स्थायी सदस्य एवं सुरक्षा ट्रस्ट फण्ड के ट्रस्टी है | बड़जात्या जी मिलनसार एवं सेवाभावी स्वभाव के हैं। पता : मैसर्स लक्ष्मीनारायण अजित कुमार,करीमगंज बाजार (आसाम) श्री लक्ष्मीनारायण जी सरा आप बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से मैट्रिक करने के पश्चात् अपने व्यवसाय में लग गये। आप 53 वर्ष के हैं। आपके दादा जी का नाम रंगलाल जी था । आपके पिताजी श्री केशरीमल जी सरा आपको पांच वर्ष का छोडकर ही स्वर्ग सिधार गये थे। माताजी श्रीमती भंवरी देवी 17 वर्ष पर्व 61 वर्ष की अवस्था में स्वर्गवासी हुई हैं । संवत् 2011 में आपका विवाह श्रीमती गुलाब देवी के साथ सम्पन्न हुआ। श्रीमती गुलाब देवी लाडनूं के स्व. भवरलाल जी पाण्डया की सुपुत्री हैं । सन्तान : आपके तीन पुत्र हैं । ज्येष्ठ पुत्र श्री ललित कुमार 30 वर्ष के हैं, ली.कॉम हैं, विवाहित हैं । पूनमदेवी पत्नी हैं। आपके एक पुत्र है तथा एक पुत्री है । द्वितीय पुत्र बसन्त कुमार भी बी.कॉम. है । आपकी पत्नी का नाम शोभादेवी है । आपके एक लड़का व एक लड़की है। तृतीय पुत्र राजेश कुमार भी बी.कॉम. है । आपकी पत्नी का नाम अनीता देवी है। बड़ी पुत्री पुष्पादेवी का विवाह डिब्रूगढ के राजकुमार जी गोधा के साथ सम्पन्न हो चुका है। आपके दो पुत्रियां व एक पुत्र है । द्वितीय पुत्री बीना देवी का विवाह गौहाटी के अजीज कुमार पाटनी के गुलाब देवी धर्मपत्नी लक्ष्मीनारायण साथ सम्पन्न हो चुका है। तृतीय पुत्री सीमा अभी अविवाहित है। रास आपके बड़े भाई सागरमल जी रारा सुजानगढ में ही व्यवसाय करते हैं । आपके तीन पुत्र व दो पुत्रियां हैं। ज्येष्ठ पुत्र कमल कुमार का विवाह कविता देवी के साथ लाडनूं में हुआ है । द्वितीय पुत्र हितेन्द्र बी कॉम. है तथा अभी अविवाहित है । तृतीय पुत्र मनोज भी बी कॉम है तथा अविवाहित है । आपके बड़ी पुत्री सुमित्रा देवी का विवाह लाडनूं के पवन कुमार जी सेठी के साम्य हो चुका है तथा द्वितीय पुत्री राजलक्ष्मी का विवाह डेह के पारसमल जी सबलावत के साथ हुआ है। आपकी बहिन पानादेवी गौहाटी के मोहनलाल जी सेठी से विवाहित है । विशेष : आपने हस्तिनापुर जम्बूद्वीप में एक कमरे का निर्माण करवाया । सोनागिरी में निर्माण कार्य चल रहा है। सुजानगढ के मन्दिर में चौबीसी में भगवान पार्श्वनाथ की प्रतिमा विराजमान की है। धार्मिक दोनों पति-पली ने तीन बार अष्टान्हिका तथा एक बार दशलक्षण व्रत का उपवास किया है । सन् 1985, 85, 88,89 व 90 में आपने अकेले ही दशलक्षण के उपवास किये थे। पता : सरावगी हार्डवेयर स्टोर्स,एटी.रोड,शिवसागर (आसाम)
SR No.090204
Book TitleJain Samaj ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages699
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Culture
File Size16 MB
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