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विजयकटक मेलपाटी में स्थापित किया था । सम्प्रति सोमदेव के तीन ग्रन्थ उपलब्ध हैंयशस्तिलक चम्पू, नीतिवाक्यामृत और अध्यात्मतरंगिणी। पहले में आठ अश्वासों में गद्य और पद्म में राजा यशोधर की कथा वर्णित हैं, इसी से उसे यशोधर महाराज चरित भी कहते हैं। दूसरे ग्रंथ में सूत्र शैली में राजनीति का कथन है, इसमें 32 अध्याय हैं। तीसरा ग्रन्थ 40 पद्यों का एक प्रकरण है । प्राचीन भारत के राजनैतिक आदर्शों वगैरह की जानकारी की दृष्टि से नीतिवाक्यामृत का अत्यधिक महत्व है। इसका विषय क्रम इस प्रकार है -
(1) धर्म समुद्देश धर्म का स्वरूप, अधर्म का दुष्परिणाम, धर्मप्राप्ति के उपाल आगम महात्म, उसकी सत्यता, चंचलचित्त तथा कर्तव्यविमुख को हानि, दान, तप, संयम, धर्म, विद्या व धन संचय से लाभ तथा धामिंक अनुत्साह से हानि आदि ।
(2) अर्थ समुदेश धन का लक्षण, धनिक होने का उपाय, धन विनाश के कारण । (3) कामसमुद्देश- काम का लक्षण, सुखप्राप्ति का उपाय, केवल एक पुरुषार्थ से हानि
आदि।
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(4) अरिषड्वर्ग समुद्देश- अन्तरंग शत्रुओं के नाम लक्षण इत्यादि ।
(5) विद्यावृद्ध समुददेश - राजा का लक्षण, कर्त्तव्य, राज्य का स्वरूप, वर्ण आश्रम के भेद. ब्रह्मचारियों का स्वरूप, राज्य का मूल, राज्य की श्रीषद्धि के उपाय आदि,
1. पद्म 96/50 2. वही 96/48 3924.97/21
( 6 ) आन्वीक्षिकी समुद्देश- अध्यात्मयोग, आत्मा के क्रीड़ा स्थान, आत्मा का स्वरूप, पुनर्जन्म, दुखों के भेद, इच्छा, का स्वरूप आदि ।
(7) यी समुद्देश त्रयोविद्या का स्वरूप आदि ।
( 8 ) वार्ता समुद्देश वार्ता विद्या इससे राजकीय लाभ सांग्ारिक सुख के कारण, राजा की नलप्सा से हानि आदि ।
(9) दंडनीति समुद्देश दण्ड महात्म्य व स्वरूप, दण्डनीति का उद्देश्य, दण्डविधान का दुष्परिणाम |
( 10 ) मंत्री समुद्देश (11) पुरोहित समुद्देश ( 12 ) मेनापति समुद्देश ( 13 ) दूत समुद्देश (14) चार समुद्देश | (15) विचार समुद्देश | ( 16 ) मन समुद्देश (17) स्वामी समुद्देश- राजा का लक्षण, आमात्मा आदि प्रकृति का स्वरूप, लोकप्रिय पुरुष, छुद्र अधिकारियों वाले राजा की हानि आदि । ( 18 ) अमात्म समुद्देश- सचिन महात्मय सचिव कर्त्तव्य, आयव्यय, स्वामी, तन्त्र लक्षण, अयोग्य अधिकारी आदि । ( 19 ) जनपद समुददेश । (20) दुर्गममुद्देश (21) कोश समुद्देश (22) बल समुद्देश - बल (सेना) का अर्थ, प्रधान सैन्य, सैन्य महात्म आदि । ( 23 ) मित्र समुद्देश ( 24 ) राजरक्षा समुद्देश राजा की रक्षा कैसे करना चाहिए। ( 25 ) दिवसानुष्ठान समुद्देश (26) सदाचार समुद्देश ( 27 ) व्यवहार समुददेश ( 28 ) विवाद समुद्देश ( 29 ) भाड्गुण्य समुद्देश (30) युद्ध समुद्देश (31) विवाह ममुद्देश ( 32 ) प्रकीर्णक समुद्देश - ग्रन्थकार प्रशस्ति, अन्त्यमंगल तथा आत्मपरिचय आदि ।
फुटनोट
4. पद्म, 97/23-24
5. पद्. 97/118 6.361 97/126
7. वहीं 97/128
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8. वही 97/129
9. पद्मचरित 7/35,36
10 वहाँ 7/37
11. वही 8/374
12. वही अध्याय 24 13. वहीं 94/10 14 वही 5/84
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