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________________ 136 और आगे बसन्त ऋतु की पैदावार को नष्ट करने के लिए उपयुक्त युद्ध प्रयाण काल चैत्र मास में है । यात्रा का यह दूसरा समय है। इसी प्रकार बसन्त की पैदावार और आगे होने वाली वर्षाकाल की फसल को नष्ट करने का उपयुक्त समयज्येष्ठ मास में है, क्योंकि इस समय घास, फूस,लकड़ो, जल आदि सभी क्षीण हुए रहते हैं और इसीलिए शत्रु अपने दुर्ग की मरम्मत नहीं कर पाता है। यात्राकाल का यह तीसरा अवसर है। उचित देश- जो देश अत्यन्त गर्म हो, जहाँ यवस (पशुओं को खाद्य सामग्री), ईधन तथा जल की कमी हो वहां हेमन्त ऋतु में युद्ध के लिए प्रस्थान करना चाहिए। जिस देश में लगातार वर्फ पड़ती हो या वर्षा होती हो, जहाँ बड़े-बड़े तालाब और घने जंगल हो वहाँ ग्रीष्म ऋतु में युद्ध के लिए जाना चाहिए । जो अपनी सेना के कवायद करने के लिए उपयुक्त और शत्रु सेना के लिए अनुपयुक्त हो ऐसे देश पर वर्षा ऋतु में आक्रमण करना चाहिए । जब किसी दूसरे देश के आक्रमण में अधिक समय लग जाने की सम्भावना हो तब अगहन और पौष इन दो महीनों में यात्रा करनी चाहिए । मध्यकालीन यात्रा चैत्र, वैसाख के बीच करना चाहिए जिहाँ अल्पकालिक यात्रा हो वहाँ ज्येष्ठ मास में प्रस्थान किया जाना चाहिए । जब कभी शत्रु पर आपत्ति आयी हुई दिखाई दे तब समय की उपेक्षा किये बिना चढ़ाई कर देना चाहिए । फुटनोट 1. नीतिवाक्यामृत का 2. पाचरित 27/47, वरांगचरित 2/58-59. | 20. वहीं 17/18 द्विसंधान महाकाव्य 16/8 21. हरिवंशपुराण 8/133 3. वही 17/11-14 22. वही 38/22 4. वह द्विसंधान महाकाव्य 14/30 23. वही 38/24 5. नीसिवाक्यामृत 22/2 24. वही 38/25 6. वही 2213 25. हरिवंशपुराण 38/26-29 7. वही 22/4 26.आदिपुराण 13/16 8. वही 2216. 27. वही 24/13 9. वही 2217 28. वही 29/6 10. द्विसंधान महाकाव्य 11/37 29, वही 31773 11. नीतिषाक्यामत 2217 30, वही 44/99 12. वही 22/8 31. उत्तरपुराण 58/110,64/29 13, वही 22/9 32.वही 74/34 14. वही 22/10 33. वही 5158 15. नीतियाक्यामृत 22/11 अ. वहीं 68/587 16. वही 22/12 35. वही 751639-642 17. वरांगचरित 17774 36. कामन्दकीय नीतिसार 1/57 18. वही 2158 37. द्विसंधान महाकाव्य 211
SR No.090203
Book TitleJain Rajnaitik Chintan Dhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRameshchandra Jain
PublisherArunkumar Shastri
Publication Year
Total Pages186
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Culture
File Size4 MB
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