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________________ सबसे अन्तिम समुच्चय जयमाला का अन्तिम पद्य श्रीऋषिमण्डल श्रेष्ठ है, जग में महाप्रसिद्ध । विघ्न हरै मंगल करै, मन चौती हो सिद्ध॥' उक्त पद्यों में शब्द ब्रह्म की उपासना से भक्ति रस प्रवाहित होता है। चौसठ ऋद्धिपूजा विधान विक्रम सं. 1910, श्रावण शुक्ल सप्तमी शुभतिथि में कविवर स्वरूपचन्द्र जी ने दिगम्बर मुनिराजों की भक्ति में लीन होकर, चौंसठ ऋद्धि पूजा विधान की रचना कर मानव-जीवन को सार्थक बनाया है। इस पूजा-काव्य में 92 पृष्ठ विद्यमान हैं। इस विधान को प्रारम्भ करने के पूर्व चौंसठ ऋद्धि मण्डल (चौसठ ऋद्धियों का रेखाकार गोल चित्र बनाया जाता है, इसमें चौंसठ ऋद्धियों के धारी मुनि-पहात्माओं का पूजन किया जाता है। इस मण्डल में सम्पूर्ण 41 कोष्ठ होते हैं। प्रथम पुनीश्वरों का समुच्चय पूजन, चौबीस तीर्थंकरों के गणधरों का पूजन, प्रथम कोष्ठ में बुद्धिमाद्रधारी मुनीश्वरों का, द्वितीय कोष्ठ में चारणऋद्धिधारी, तृतीय कोष्ट में विक्रियाकाद्धधारो, चतुर्थ कोष्ठ में तपऋद्धिधारी, पंचम कोष्ठ में बलऋद्धिधारी, पष्ठ कोष्ठ में औषधऋद्धिधारी, सप्तम कोष्ठ में रसऋद्धिधारी और अष्टम कोष्ट में अक्षीण पहानस ऋद्धिधारी मुनीश्वरों का पूजन किया गया है। अन्त में पंचमकाल के कलिकाल) आदि में उदित मुनीश्वरों या केवल ज्ञानी ऋषियों का पूजन किया गया है। सबके मध्य में ओं की, उसके चारों ओर बने आठ कोष्ठों में सिद्ध के आट गुग्गों की, उसके चारों ओर बने कोष्टों में 24 तीर्थकरों की और अन्त में चौंसठ मुनीश्नरों की स्थापना है। उदाहरणार्थ इस विधान के कुछ महत्त्वपूर्ण पद्य प्रस्तुत किये जाते हैं... रूपक-अनुप्रास-दाहा-मंगलाचरण और पूजा का प्रयोजन सारासार विचारकरि, तज संसति को भार। धारा धरि निजध्यान की, भये सिन्धु भवपार।। भूत भविष्यत काल के, वतमान ऋषिराज । तिनक पद को नमन कर, पूज रचों शिवकाज।' बजधर चक्रधर अरु धरणिधर विद्याधरा। तिरशुलथर अरु कामहलधर शास चरणनि तल धरा । 1. श्री ऋषिमण्डल काय. पृ. 4 2. घौसठ ऋडिसूजाविधान, प्रणेला. कविवर स्वरूपचन्द्र जी, प्रका.-ज. सूरजमल जैन, शान्तिवीर नगर, महावीर ी. '. । हिन्दो जैन पूजा-कायों में लन्ट, रस, अलंकार :: 221
SR No.090200
Book TitleJain Pooja Kavya Ek Chintan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDayachandra Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages397
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Devotion
File Size7 MB
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