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________________ छठा अध्याय १५वीं, १६वीं, १७वीं और १८वीं शताब्दी के प्राचार्य, भट्टारक और कवि कवि रइधू कषि गोविन्द हरिचन्द्र अग्रवाल कवि कोटीश्वर भट्टारक पधनन्दी पंडित खेता भट्टारक यशःकीति भट्टारक ज्ञानभषण मुनि कल्यारणकीति कवि दामोदर भट्टारक प्रभाचन्द्र नागचन्द्र भाशुभकीति प्रभिनय समन्तभद्र कवि मंगराज (तृतीय) भ० गुणभत्र सोमदेव ब्रह्म श्रुतसागर पचनाभ कायस्थ ब्रह्म नेमिदत्त कषि पनपाल अभिनव धर्मभूषण भट्टारक सकलकीति भ० विद्यामन्दि पण्डित रामचन्द्र भ० श्रुतकीति नागदेव कवि माणिक्यराज चारुकीति पण्डितवेव कवि तेजपाल लक्ष्मीचन्द्र भ० सोमकोति कवि हल्ल या हरिचन्द्र अजित ब्रह्म कचि असवाल कवि ठकुरसी ब्रह्म साधारण ब्रह्म जी बंधर बुध विजयसिंह पं. नेमिचन्द्र (प्रतिष्ठा तिलक के pal) भट्टारक शुभचन्द्र कवि धर्मधर भ० रनकीर्ति पं० हरिचन्द्र पंडित योगदेव पं० मेघावी कवि जल्हिग कवि महाचन्द्र नेमचन्द्र भ० प्रभाबन्द्र पण्डित नेमिचन्द्र भ० शुभचन्द्र भ. शुभचन्द्र भ० अमरकीति कवि भास्कर वीर कवि या बुधवीर भ० कमलकोति कवि वोड्डय्य कवि चन्द्रसेन पंडित जिनवास
SR No.090193
Book TitleJain Dharma ka Prachin Itihas Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBalbhadra Jain
PublisherGajendra Publication Delhi
Publication Year
Total Pages566
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Story
File Size19 MB
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