________________
I
महावीर के जीवन पर एक स्वतन्त्र रचना 'बटमाणचरिउ' के रूप में की है 'पासणाहचरिङ' का समाप्ति काल (वि.सं. 1180) उल्लिखित है । कविवर रयधू ने 'सम्मइ चरिउ' दस सन्धिनों में रचा है। जयमित्रहल ने 'वहमाण कव्व' की रचना की है। अपभ्रंश साहित्य में महावीर के जीवनविषयक वृत्त एवं उनकी विचारधारा का विवेचन जैन आगमों पर आधारित है। इन प्रकार महावीर चरित्र की विषय-सामग्री समकालीन परिवेश के सन्दर्भ में प्रस्तुत की गयी है। आधुनिक हिन्दी महाकाव्यों में वर्णित भगवान महावीर का चरित्र अपभ्रंश के पौराणिक काव्यों पर आधारित चित्रित किया गया है।
पुरानी हिन्दी में महावीर - चरित्र
समूचा हिन्दी जैन साहित्य दो भागों में विभक्त किया जा सकता है- प्राचीन युग और आधुनिक युग प्राचीन युग में प्राकृत, अपभ्रंश से उद्भूत 'पुरानी हिन्दी' भाषा की रचनाएँ आती हैं। आधुनिक युग में खड़ी बोली में रची गयी अधिकतर रचनाएँ आधुनिक विधाओं की शैली में आती हैं। अपभ्रंश साहित्य की विभिन्न विधाओं ने सामान्यतः हिन्दी साहित्य को प्रभावित किया था। अतः जैन हिन्दी कवि ब्रज और राजस्थानी में प्रबन्धकाव्य और मुक्तक काव्यों की रचना करने लगे। यह सत्य है कि जैन कवियों ने जैनदर्शन के सिद्धान्तों को भी अपने काव्यों में स्थान दिया
। आरम्भ में जैन कवियों ने लोकभाषा हिन्दी को ग्रहण कर जीवन का चिरन्तन सत्य, मानव कल्याण के लिए प्रेरणा एवं सौन्दर्य की अनुभूति को अभिव्यक्ति प्रदान की है।
महावीर की जीवनी के आधारभूत ग्रन्थ
भगवान महावीर के चरित्र विषयक महत्त्वपूर्ण ग्रन्थों का विवरण देते समय डॉ. भगवानदास तिवारी लिखते हैं- "विश्व की महान् विभूति और लोकवन्द्य तीर्थंकर के नाते दिगम्बर और श्वेताम्बर दोनों सम्प्रदाय के प्राचीन ग्रन्थों, पुराणों तथा चरितकाव्यों में भगवान महावीर की जीवनगाथा आचार्य एवं महाकवियों ने बड़े विस्तार से लिखी है। भगवान महावीर के निर्माण के समय से ही उनके जीवन सम्बन्धी विकसित इतिवृत्त संकलित किये गये, जिनमें कवि-कल्पना का योगदान विलोभनीय है । ""
दिगम्बर मान्यता के अनुसार महावीर - चरित्र विषयक कुछ महत्त्वपूर्ण सन्दर्भ ग्रन्थों के नाम हैं- 1. यतिवृषभाचार्य कृत 'तिलोयपण्पत्ति', 2. महाकवि पुष्पदन्त कृत 'तिसङिमहापुरिसगुणालंकार' या 'महापुराण 3. जयमित्रहल्ल कृत 'बढमाण कव्व', 4. कवि नरसेन कृत 'बढमाण कहा'. गुणभद्र कृत 'उत्तरपुराण', 6. सकलकीर्ति कृत 'वर्द्धमान पुराण (हरिवंशपुराणान्तर्गत), 7. असग कविकृत 'वर्द्धमान चरित्र',
1. डॉ. 'भगवानदास तिवारी : भगवान महावीर जीवन और दर्शन, पृ. 4.
भगवान महावीर की जीवनी के स्रोत 37