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________________ T ते आत्मकल्याण के साथ-साथ संसार को अनेक समस्याओं का समाधान होता है। यही कारण है कि भगवान महावीर के चरित्र का वैयक्तिक तथा सार्वजनीन महत्त्व निर्विवाद है। आचार्य श्री विद्यानन्द मुनि लिखते हैं- "हमारा विश्वास है, भगवान महावीर ने जिन सिद्धान्तों का उपदेश दिया था, उनका उन्होंने स्वयं सफल प्रयोग किया था । ये वर्तमान सन्दर्भ में भी उतने ही उपयोगी हैं, जितने ढाई हजार वर्ष पूर्व थे। आज उनके पुनर्मूल्यांकन की आवश्यकता है।" उक्त उद्धरण से भगवान महावीर के चरित्र की प्रासंगिकता पर प्रकाश पड़ता है। अटलबिहारी वाजपेयी का कथन है- "भगवान महावीर के बारे में इतना अवश्य कहूँगा कि जो बाह्य शत्रुओं से लड़ते हैं उसे वीर पुरुष कहते हैं और जो पंचेन्द्रियों को जीतकर आत्मविकास में विजय प्राप्त कर लेता है, उसे महावीर कहते हैं। 92 भगवान महावीर का चरित्र आज के युवकों को आत्मविकास के लिए इन्द्रियनिग्रही, संयमी रहने की प्रेरणा देता है। रवीन्द्रनाथ ठाकुर का कथन है- "भगवान महावीर ने अपने डिण्डिम नाद से मोक्ष का ऐसा सन्देश हिन्द में विस्तृत किया है कि धर्म यह मात्र सामाजिक रूढ़ि नहीं, किन्तु वास्तविक सत्य है। मोक्ष यह साम्प्रदायिक क्रियाकाण्ड के पालन से मिलता नहीं, किन्तु सत्य धर्म के स्वरूप का आश्रय लेने से प्राप्त होता है और धर्म में मनुष्य मनुष्य के बीच का भेद स्थायी नहीं रह सकता। कहते हुए आश्चर्य उत्पन्न होता है कि इस शिक्षण ने समाज में जड़ जमाये बैठे हुए विचार रूपी विघ्नों को, जड़ से 'उखाड़ फेंका और सारे देश को वशीभूत किया ।" मूल उक्त उद्धरण से यह स्पष्ट होता है कि वर्तमान सन्दर्भ में भी समाज में व्याप्त अन्धविश्वात, बाह्याडम्बर और विषमता को भगवान महावीर के विचारों को अपनाकर ही दूर किया जा सकता है I लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक का कथन है- "चौबीस तीर्थंकरों में महावीर अन्तिम तीर्थंकर थे। वे जैनधर्म को पुनः प्रकाश में लाये। अहिंसा धर्म व्यापक बना। आजकल यज्ञों में पशु-हिंसा नहीं होती । ब्राह्मण और हिन्दू धर्म में मांसभक्षण और मदिरापान बन्द हो गया है तो वह इस जैनधर्म का प्रभाव है। 54 आधुनिक जीवन के सन्दर्भ में भी पशुहिंसा, मांसभक्षण एवं मदिरापान जैसे 1. जैन जगत् महावीर जयन्ती विशेषांक, अप्रैल 91, पू. 121 2. वही, अप्रैल 91, पृ. 12 । ५. वडो, अप्रैल 91. पृ. 274 4. वहीं, अप्रैल 91, पृ. 271 भगवान महावीर के चरित्र की प्रासंगिकता 147
SR No.090189
Book TitleHindi ke Mahakavyo me chitrit Bhagavana Mahavira
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushma Gunvant Rote
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages154
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Story
File Size3 MB
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