________________
D
:
महाकाव्यों में महावीर के पात्र को महाकाव्य का नायक के रूप में किस प्रकार चित्रित किया गया है। प्रत्येक युग की समस्याओं, प्रवृत्तियों, आदशों का प्रत्यक्ष या परोक्ष प्रभाव उस युग के साहित्य पर अवश्य पड़ता है।
महावीर चरित्र सम्बन्धी आधुनिक हिन्दो महाकाव्य भी इस प्रभाव से नहीं बच पाये। इन महाकाव्यों के अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि महावीर के चरित्र-चित्रण में आन्तरिक एवं बाह्य स्वरूप में कहीं-कहीं सूक्ष्म और कहीं-कहीं स्थूल परिवर्तन आ गये हैं। जैसे बर्द्धमान के शिशुवय एवं किशोरवय के चित्रण में कवियों ने अपनों कल्पनाओं से युगीन मान्यताओं- धारणाओं का आधार लेकर विविध प्रसंगों की उद्भावना की है । चन्दना के उद्धार के प्रसंग चित्रण से नारी मुक्ति विषयक आधुनिक धारणा स्पष्ट होती है। वर्तमान सन्दर्भ में वर्ण, जातिभेद, ऊँच-नीच का भेदभाव इतना क्षीण होता जा रहा है, उपेक्षितों, दलितों, पीड़ितों के प्रति सहानुभूति, उनके प्रति समताभाव की प्रवृत्ति आज के युग की आधुनिकता है। कवियों ने इस आधुनिकता की दृष्टि से महावीर के चरित्र का चित्रण करते समय नये-नये प्रसंगों के निर्माण द्वारा महावीर के चरित्र-चित्रण में आधुनिकता का समावेश किया है। पौराणिक और युगीन आदर्शो के समन्वय से आधुनिक कवि ऐतिहासिक चरित्रों में परिवर्तन करते हैं | चरित्र को देवता से नर, नर से नारायण के रूप में चित्रित करते हैं। अतः कवि-कल्पना साहित्य की रीढ़ है ।
ऐतिहासिक चरित्र के स्वरूप निर्धारण में आधुनिक कवि अपनी प्रतिभा से नव-नवोन्मेषशालिनी कल्पना का योगदान करते हैं। कल्पना के इस स्पर्श द्वारा ऐतिहासिक या पौराणिक पात्र अपने पारम्परिक स्वरूप से निरस्त होकर नये स्वरूप में, युगीन परिवेश में आधुनिक रूप धारण करते हैं। आलोच्य महाकाव्यों में वर्णित भगवान महावीर के चरित्र में आधुनिकता को चित्रित किया गया है।
भगवान महावीर के चरित्र में कवियों ने लोकमंगल की भावना की कल्पना की है। आत्मबोध- चिरन्तन सत्य की खोज के लिए राजवैभव त्यागकर भ्रमण साधना में बारह वर्ष मौन रहकर मग्न रहे। साधना ले उनका व्यक्तित्व परम उज्ज्वल बना। वे अहिंसावादी थे । उपद्रव करनेवालों के प्रति भी उनके मन में क्षमा भावना थी। उन्होंने अहिंसा का पालन अपनी साधना में किया। वे जातिवाद के विरोधी थे, ऊँच-नीच के भेदभाव को नहीं मानते थे। उन्होंने अस्पृश्यता का विरोध किया। महावीर नारीदासता के विरोधी थे। वे शोषणरहित, वर्गविहीन, समतावादी, जनतान्त्रिक समाज-व्यवस्था के समर्थक रहे। भगवान महावीर की चरित्रगत इन विशेषताओं को विविध प्रसंगों की उद्भावना करके आधुनिक कवियों ने चित्रित किया है।
भगवान महावीर के चरित्र में देवत्व की कल्पना करके कवियों ने अलौकिक दृष्टान्तों की योजना की है। व्यन्तर देवों द्वारा मायावी सर्प का रूप धारण करना,
भगवान महावीर का चरित्र चित्रण 189