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अनेकान्तबादी की आधुनिकता के सन्दर्भ में सार्थकता को विशद किया है। महाकाव्य के शास्त्रीय लक्षणों के अनुसार रचना होते हुए भो चरित्र विश्लेषण की आधुनिक पद्धतियों से उनकी चरित्र की महत्ता प्रस्थापित की गयी है।
'वीरायन' में चरित्र-चित्रण
महाकवि रघुबीरशरण 'मित्र' ने भगवान महावीर के जीवन को समसामयिक सन्दर्भ में चित्रित करने का प्रयास किया है। परिणामस्वरूप चरित्र की कथावस्तु के वर्णन में वर्तमान कालीन भारत की समस्याओं, अभावों, कुरीतियों आदि के विस्तृत निरूपण तथा उनके उचित समाधान के उपायों का निर्देश भी भगवान महावीर के चरित्रादर्शों के अनुकूल किया है। महावीर के समग्र चरित्र को पन्द्रह सर्गों में चित्रित करते समय उनके चरित्र की विविध अवस्थाओं को काव्यात्मक, आलंकारिक पद्धति से शीर्षक दिये हैं। इन शीर्षकों से यह स्पष्ट होता है कि ऐतिहासिक, पौराणिक, महापुरुष के चारित्र का अध्ययन आधुनिक सन्दर्भ में किस प्रकार किया जा सकता है। अन्तिम सगं 'युगान्तर में निर्वाणोपरान्त भगवान महावीर के अमर वचनों और सिद्धान्तों की जीवन एवं जगत् को देन तथा उनकी उपलब्धि और उपयोगिता का प्रभावकारी ढंग से चित्रण किया है। महाकाव्योचित गरिमापूर्ण भाषा-शैली का प्रयोग भी चरित्र चित्रण में सफलतापूर्वक संयोजित है।
वस्तुतः कवि का उद्देश्य भगवान महावीर के जीवन-वृत्तान्तों का वर्णन करने की अपेक्षा उनकी बन्दना, अर्चना और अमरवाणी, आप्तवचनों के दीर्घकालीन प्रभाव-प्रसार का उद्देश्य ही प्रस्तुत महाकाव्य के सृजन का मूल आधार है। अतः प्रस्तुत महाकाव्य में काव्यगत सौन्दर्य की दृष्टि से चरित्र चित्रण अधिक सफल हुआ है। बहुल छन्दात्मक इस काव्य में स्थान-स्थान पर स्वतन्त्र प्रगीतों का नियोजन करके महावीर की चरित्रगत विशेषताओं का प्रभावी चित्रण किया है।
भगवान महावीर की आन्तरिक भावनाओं एवं विचारों की अभिव्यक्ति के लिए प्रकृतिचित्रण का स्वतन्त्र रूप से आलम्बन तथा उद्दीपन सभी रूपों में मर्मस्पर्शी चित्रण किया है । चरित्र चित्रण के अन्तरंग पक्ष की दृष्टि से प्रमुख रूप से शान्त रस एवं गौण रूप से वीर, शृंगार तथा करुण आदि रसों की प्रसंगोचित निष्पत्ति करके भगवान महावीर के चरित्र का चित्रण सरस बना दिया है। महावीर के चरित्र की समस्त क्रिया व्यापारों और घटना प्रवाहों की रसात्मक अनुभूति कराने में कवि की कल्पना-शक्ति चरित्र-चित्रण शैली में उपयुक्त रही है। समग्र रूप से महावीर के व्यक्तित्व तथा कृतित्व की विशेषताओं का मूल्यांकन करके वर्तमान परिवेश में उनकी प्रासंगिकता का भी चित्रण महत्त्वपूर्ण रहा है।
'बौरायन' महाकाव्य में ओज है, सुन्दर वर्णन है, करुणा है और ललकार भी है। इसमें मार्मिक और दार्शनिक भाव व्यक्त हुए हैं। भावों एवं विचारों के चित्रण में
136 :: हिन्दी के महाकाव्यों में चित्रित भगवान महावीर