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________________ सूचित होता है कि वह नाना गुणरूपी रत्नों की राशि होगी। रलों को राशि अनन्त गुणों की प्राप्ति का प्रतीक है। रत्नत्रय की एकता की पूर्णता मोक्षमार्ग है। उसे जन-जन को सिखाएगा। स्वयं मोक्षमार्गी बनकर जगत् की मोक्षमार्ग का प्रकाश करेगा। (16) धकधकाती हुई निर्धूम अग्नि : अन्तिम सोलहवें स्वप्न में त्रिशला देवी ने शुभ कान्तियुक्त देदीप्यमान धूम्ररहित अग्नि देखी। अग्नि की ज्वाला अरुण मणियों की झालर है। निधूम अग्नि स्वप्न के दृष्टान्त को आलोच्य महाकाव्यों में रेखांकित किया है। तात्पर्य यह है कि निधूम अग्नि सकल कर्मों के क्षय की प्रतीक है। बालक स्वरूपाचारण चारित्र के साथ ध्यान-अग्नि से अष्टकर्मों को नष्ट कर सिद्ध-पद प्राप्त करेगा। अन्त में रानी त्रिशला को यह प्रतिभास हुआ कि "तदनन्तर मुख में जाता-सा देखा था गजराज महान! ऐसा कौतुक देख अन्त में जागी माता, हुआ विहान ।" (श्रमण भगवान महावीर-चरित्र, पृ. 62) स्वप्न के अन्त में त्रिशला को यह आभास हुआ कि मुख में गजराज प्रवेश कर रहा है। इसका प्रतीकार्थ है कि माता के गर्भ से शीघ्र ही तीर्थकर भगवान का जन्म होनेवाला है। निष्कर्ष में कहा जा सकता है कि महारानी त्रिशला के सोलह स्वप्न इस तथ्य का पूर्वाभास था कि भगवान महावीर दिव्यगुणों से युक्त, धर्मतीर्थप्रवर्तक, जगत्वन्ध, मनोजयी, आत्मजेता तीर्थकर होंगे और उनकी गणना विश्व की एक महान विभूति के रूप में होगी। श्वेताम्बरों के अनुसार केवलज्ञान की प्राप्ति के पूर्व श्रमणसाधना के चरम शिखर पर पहुँचते ही भगवान महावीर को दस स्वप्न आये थे। उन स्वप्नों का फल निमित्तज्ञ ने इस प्रकार बताया कि शीघ्र ही भगवान महावीर को केवलज्ञान की प्राप्ति होगी, द्वादशांग रूप ज्ञान की देशना करेंगे। श्रावक एवं श्रमण के रूप में धर्म के दो रूपों का उपदेश होगा। चतुःसंघ की स्थापना होगी। चारों निकायों के देवता सेवा करने आएँगे। मोक्षप्राप्ति होगी। श्रमण महावीर के सम्बन्ध में दस स्वप्नफल शीघ्र ही यथार्थ रूप में साकार हुए। आलोच्य महाकाव्यों में से केवल 'श्रमण भगवान महावीर-चरित्र' महाकाव्य में अभयकुमार योधेय ने दस स्वप्नों का और माता के चौदह स्वप्नों का विवेचन किया है। माता के सोलह स्वप्नों का विवेचन अन्य पाँच महाकाव्यों में हुआ है। अन्तःप्रेरणाओं का अनुस्मरण जन्मजात विरागी : भगवान महावीर धर्म पुरुषार्थ सम्पन्न महावीर थे। उन्होंने भगवान महावीर का चरित्र-दिन्नण :: 125
SR No.090189
Book TitleHindi ke Mahakavyo me chitrit Bhagavana Mahavira
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushma Gunvant Rote
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages154
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Story
File Size3 MB
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