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________________ महोत्सव मनाते हैं। इस समय इन्द्र को आना से कबर तीर्थकर की धर्मसभा के लिए समवसरग की रचना करते हैं। निर्वाणकल्याणक--भगवान महावीर के परिनिवांण मोक्ष प्राप्त होने पर भी स्वर्ग के देवों द्वारा उनका दाह-संस्कार कर परिनिर्वाण-महोत्सव मनाया जाता है। बधार्य में प्रभु ने निर्माण के कारण कर्मों का क्षय किया है। भगवान महावीर ने मृत्यु को जीतकर अमरत्व की स्थिति प्राप्त को। उस समय देव, देवेन्द्रों ने आकर निवांणोत्सव मनाया। आलोच्च महाकाव्यों में उक्त कल्याणक का उत्सव के रूप में चित्रण निम्न रूप में प्राप्त होता है। कावे के शब्दों में "कर गया सहज ही ऊर्यगमन, सत, शुद्ध बुद्ध निर्मल चेतन । तनगृह से अब शिव सोख्य-सइन पहुँमा लहराया जयकेतन । तीर्थकर भगवान महावीर, पृ. 170) इस प्रकार भगवान महावीर के चरित्र में मोक्ष (निर्वाण) पाने का महोत्सव सुरनरों ने मनाया । मोक्ष से तात्पर्य है-दुःखों से, विकारों से, बन्धनों से मुक्त होना। मोक्ष आत्मा की अनन्त आनन्दमयी दशा है। शाश्वत आनन्दमय होने से मोक्ष परम कल्याणस्वरूप है। इस मोध-प्राप्ति के कारण ही गर्भ, जन्म, तप आदि कल्याणक स्वरूप माने गये हैं। भगवान महावीर के चरित्र में उनके जीवन की पाँचों अयस्थाओं-गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान तथा निर्वाण-के महोत्सब देव-इन्द्र तथा मनुष्यों द्वारा मनाये गये। वैभवपूर्ण महोत्सव पंचकल्याणक के नाम से प्रचलित हैं। ये पंचकल्याणक उनके मनाये जाते हैं जो केवलज्ञान प्राप्त करके वीतरागी, सर्वज्ञ होकर लोककल्याण के उद्देश्य से उपदेश देते हैं। तात्पर्य केयलो अरिहन्त पद को प्राप्त तीर्थंकरों के जीवन में ये महोत्सव होते हैं। "कल्याणं करोति इति कल्याणकः" की उक्ति के अनुसार लोककल्याण करनेवालों को करव्यागाक कहते हैं। भगवान महावीर का चरित्र कल्याणक चरित्र है। पाँच कल्याणकों में निर्वाणकल्याण परमकल्याण स्वरूप माना जाता है। भगवान पहावीर के निर्वाण के पश्चात् पौराणिक बुग आया। उसमें ऐतिहासिक महापुरुषों के चरित्र की प्रस्तुति पौराणिक आख्यानों की शैली में चमत्कारों के परिवेश में की गयी है। ऐतिहासिक महापुरुष महावीर के जीवनवृत्त के साथ चमत्कारपूर्ण घटनाएँ जुड़ गयीं। अतिशयोक्तिपूर्ण ढंग से वो घटनाओं को अंकित किया गया। पंचकल्याणकों के चित्रण में तघ्य या घटना की अपेक्षा कवि-कल्पना की गुरुता अधिक है। यह तथ्य है या नहीं, यह अनुसन्धेय हो सकता है, किन्तु इत्ते कामगत सत्य तो माना जा सकता है। सभस्त आलोच्य महाकाव्यों के कवियों ने भगवान महावीर के समग्न चरित्र को पंचकल्याणक महोत्सवों की घटनाओं, प्रसंगों एवं दृश्यों के चित्रण द्वारा चित्रित किया है। भगवान महावीर का चरित्र उनके गर्म, जन्म, दीक्षा, तप, ज्ञान, उपदेश तथा 118 :: हिन्दी के महाकाव्यों में चित्रित भगवान महावीर
SR No.090189
Book TitleHindi ke Mahakavyo me chitrit Bhagavana Mahavira
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushma Gunvant Rote
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages154
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Story
File Size3 MB
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