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________________ ********************************* ******** ज्ञानाश ******** * करता है। अतः वीतरागी की आराधना अभेद रत्नत्रयाराधना होती है। * * आचार्य श्री ब्रह्मदत्त ने लिखा है - यथा द्राक्षा, कपूर, श्रीखण्डादि बहु द्रव्यैर्निष्पन्नमणि * पानकभेदविवक्षया कृत्वैकं भण्यते तथा शुद्धात्मानुभूतिलक्ष.* * पैनिश्चय सम्यग्दर्शन ज्ञानचारित्रैर्बहुभिः परिणतो अनेकोऽप्यात्मा* *वभेदविवक्षया एकोऽपि भण्यत इति। (परमात्मप्रकाश टीका- १/९६)* * अर्थात् : जिसप्रकार दाख, कपूर, चन्दन आदि अनेक द्रव्यों से बनाया गया पीने का वह रस यद्यपि अनेक रसरूप है तो भी अभेदनय से एक पानकास्तु कही जाती है। उसोतरह शुद्धात्मानुभूति स्वरूप* * निश्चयसम्यग्दर्शन, ज्ञान, चारित्रादि अनेक भावों से परिणत हुई आत्मा * अनेकरूप है, तो भी अभेदनय की विवक्षा से आत्मा एक ही वस्तु है। यही अभेदरत्नत्रय का स्वरूप है। आत्मा का चैतन्य गुण सम्पूर्ण परपदार्थों से भिन्न है। स्वरूपानुभूति * वा पररूप से उपरति का नाम सम्यग्दर्शन है। यह निश्चयनय की अपेक्षा - * से लक्षण है। व्यवहारनय की अपेक्षा से देव, शास्त्र, गुरु अथवा तत्त्वार्थ * * का श्रद्धान सम्यग्दर्शन है। आगम में कहीं-कहीं तत्त्वार्थश्रद्धान के स्थान पर पंचास्तिकाय, छह द्रव्य अथवा नौ पदार्थों के श्रद्धान को भी व्यवहार सम्यग्दर्शन कहा है। इसमें केवल शब्दान्तर है, विषयान्तर नहीं ऐसा जानना चाहिये। आत्मा चिद्रूप है, अखण्ड है. परम है, सुखस्वरूपी है ऐसा * * आत्मतत्त्व सम्बन्धित ज्ञान निश्चय सम्यग्ज्ञान है और तत्त्वों को यथार्थ रूप से जानना व्यवहार सम्यज्ञान है। * संसार के कारणभूत ऐसे राग-द्वेष का अभाव करने के लिए * बाह्य और आभ्यान्तर क्रियाओं का निरोध करते हुए सच्चिदानन्द्र आत्मस्वरूप * * की अविचलता को प्राप्त करना अर्थात् स्वरूप का आचरण करना* * निश्चय सम्यक्चारित्र है। जो अशुभ से छुड़ाकर शुभ में स्थिर करता है, . उस आचरण विशेष को व्यवहार सम्यकचारित्र कहते हैं। समिति, * A गुप्ति, अणुव्रत, महाव्रत और शीलव्रतादि रूप आचरण व्यवहार **********[५६ ********** **************************************
SR No.090187
Book TitleGyanankusham
Original Sutra AuthorYogindudev
AuthorPurnachandra Jain, Rushabhchand Jain
PublisherBharatkumar Indarchand Papdiwal
Publication Year
Total Pages135
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size3 MB
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