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( २१ )
शुष्क हस्तौ च पादौ च शुष्कांगी विधवा भवेत् ।
अमंगला च सा नारी धन्यधान्यक्षयंकरी ॥३६॥
शुष्क हाथ, सूखे पैर और सूखे शरीर वाली स्त्री विधवा होती है। यह अमंगला धन धान्य की संहारिणी होती है।
पिंगाक्षी कूपगंडा प्रविरलदशना दीर्घजंघोर्ध्वकेशी । लम्बोष्ठी दीर्घत्रा खरपरुषरवा श्यामताम्रोष्ठजिह्वा: । शुष्कांगी संगता स्तनयुगविषमा नासिकास्थूलरूपा । सा कन्या वर्जनीया पतिसुतरहिता शीलचारित्र्यदूरा ||३७|
जिस कन्या की आंखें पिंगल वर्ण की हों; कपोल से हुए हों; दाँत सुसज्जित रूप से न हों; जंधा लंबी हो; केश खड़े हों; ओंठ लंबे हों; मुंह लंबा हो; बोली कर्कश हो; तालु, होंठ और जीभ काली हों; शरीर सूखा हो; बात बात पर आंसू गिरता हो; दोनों स्तन समान न हो; नाक निपटी हो; उसके साथ विवाह नहीं करना चाहिये। क्यों कि वह पति और पुत्र से रहित होगी, उसके चरित्र भी दूषित होंगे।
शृगालाक्षी कृशांगी च सा नारी च सुलोचना ।
धनहीना भवेत्साध्वी गुरुसेवापरायणा ||३८||
सियार की तरह आँखों वाली, पतले शरीर वाली, सुलोचना स्त्री धनहीन होती हुई भी साध्वी और गुरुजनों की सेवा करने वाली है ।
रक्तोत्पलदला नारी सुन्दरी गज-लोचना । हेमादिमणिरत्नानां भर्तुः प्राणप्रिया भवेत् ॥ ३६ ॥
कमल के पत्ते के समान हाथी जैसी आँखों वाली सुन्दरी रमणी, सुवर्ण मणि और रनों के स्वामी की प्राणप्रिया होती है।
गुलीच या नारी दीर्घकेशी च या भवेत् ।
अमांगल्यकरी ज्ञेया धनधान्यक्षयंकरी ॥४०॥
बड़ी बड़ी अंगुलियों वाली, और दीर्घ केशों वाली औरत धन धान्य की नाशक तथा अमंगळ मयी है।
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