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से ही इस कर्नाटक देश का बड़ा नाम रहा है। जैसा यह भूमि-भाग अपनी बारहमासी हरियाली और प्राकृतिक शोभा-सुषमा के लिए दूर-दूर तक विख्यात रहा, वैसे ही श्रमण साधुओं और जैन तीर्थों के लिए भी सदा इसकी प्रसिद्धि रही है।
राजनैतिक प्रवाह की सशक्त लहरों के आघात से, भले ही कर्नाटक की सीमाएँ परिवर्तित होती रही हैं, भले ही इस भूमि पर फहराने वाले राष्ट्रध्वज, उत्थान और पतन की दोला में झूलते रहे हैं, परन्तु कर्नाटक की सांस्कृतिक सम्पदा, सदा सुरक्षित हो रही है। उसकी आस्थावान अस्मिता की सहज आभा, कभी मन्द नहीं हुई, वह सदा ऐसे ही तेज से झिलमिलाती रही है।
कर्नाटक के मध्य में स्थित इस श्रवणबेलगोल को, इस गोम्मटपुर को, अनेक कारणों से अतिशय ख्याति मिलती रही है। इस ग्राम को, और तुम्हारे इन पर्वतों को, समय-समय पर अनेक नामों से जाना जाता था। यहाँ के शिलालेखों-मूर्तिलेखों से वे सभी नाम तुम्हें ज्ञात हो चुके हैं। यह चिक्कवेट्ट जिस पर तुम बैठे हो, वह दोड्डवेट जो तुम्हारे सामने दिखाई दे रहा है, हम दोनों ही अपनी उपलब्धियों के क्षेत्र में भाग्यशाली रहे हैं। चिक्कवेट्ट, कटवप्र, कलवप्पु, ऋषिगिरि, चन्द्रगिरि और तीर्थगिरि सब मेरे ही नाम हैं। दोड्डवे, विन्ध्यगिरि और इन्द्रगिरि मेरे उस सहोदर के सम्बोधन हैं। हमारे प्रत्येक नाम का पृथक इतिहास है। सभी नाम अपने आप में सार्थक हैं।
आज इन नामों से ही अपनी बात प्रारम्भ करना ठीक होगा
'श्रवणबेलगोल' का अर्थ है श्रमणों का धवल सरोवर। श्रवण' शब्द संस्कृत के 'श्रमण' का अपभ्रंश है । अर्थ है जैन मुनि । 'बेल' और 'गोल' कन्नड़ के शब्द हैं, जो क्रमशः 'धवल' और 'सरोवर' का अर्थ देते हैं। इस ग्राम के लिए 'श्वेत सरोवर', 'धवल सरसतीर्थ', 'धवल सरोवर', और 'बेलगुलु' आदि पर्यायवाची नाम भी मैंने यदा-कदा सुने हैं। वह जो कल्याणी सरोवर तुम्हें सामने दिखाई दे रहा है, उसी के कारण इस ग्राम को ये नाम प्राप्त हुए हैं। यह 'कल्याणी सरोवर' भी उस जलाशय का बड़ा सार्थक नाम है । उसका भी एक आख्यान है। ___'देवर बेलगोल' एक और नाम कुछ लोग इस ग्राम के लिए प्रयोग करते थे। अर्थ है-जिनदेव का धवल सरोवर। दक्षिण काशी' और 'जैन बिद्री' नामों का प्रयोग करके भी इस स्थान के प्रति भक्तजनों ने आपना सम्मान सूचित किया है।
'गोम्मटपुर' संभवतः इसका सबसे नवीन नामकरण है । अभी, सहस्र
६ / गोमटेश-गाथा