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दो पक्ष का समय चाहा था। आचार्य महाराज को पधारने में भी तीन सप्ताह लगेंगे। बंकापुर से कल ही उनके बिहार के समाचार मिले हैं। दूर-दूर तक निमन्त्रण भेजे जा रहे हैं। सब ओर से लोगों को आने में भी समय लगता है। अभी दुग्धाभिषेक के लिए एक मास से अधिक समय शेष है। तुम्हारा शरीर अब क्षीण हो रहा है । दुग्ध ले लेना उचित होता। ___'मत चिन्ता कर रे, मैं अभी बहुत जीऊँगी। तूने मेरे बाहुबली का दर्शन जो करा दिया है । यह वृद्धापन अब मुझे पंगु नहीं कर पायेगा। अब निश्चिन्त मन तू भोजन के लिए बैठ।'
काललदेवी ने स्नेहपूर्ण उत्तर देकर बात को विराम दे दिया।
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१६४ | गोमटेश-गाथा