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Kaganga | 378
Kayayoga | 380
Vaikrivik & Aharak | 380
Aयोगी शरीरों में कर्म-नोकर्म विभाग | 405
शरीरों के समय प्रबन व वगंगा की अवगाहना | 320
बिनसोपचय-स्वरूप जचन्य गुण में भी अनन्त प्रविभाग | 417
प्रतिच्छेद होते हैं | 417
5 शगैरों का उत्कृष्ट संचय | 426
पांच भी की उत्कृष्ट स्पिति | 426
पाँच शरीरों की गुणहानि | 432
मौदारिक प्रादि शरीरों का बंध, उदय व सत्त्व | 440
द्रष्य प्रमाण | 446
शरीरों के उत्कृष्ट संचय के स्वामी | 41
पांगमानणा में जीवों की संख्या | 453
वेदमागणा | 465
वेद का हेतु | 471
किस जीव के कोनसा वेद | 475
वेदों के लक्षण | 402
प्रवेदी सिद्ध | 358
वेदमार्ग में जीवसंख्या | 483
कवायमार्गणा | 466
कषाय का निरुक्यर्थ | 486
कषायों के भेद व कार्य | 466
कोध प्रादि कषायों के पर्यायवाचक नाम | 505
कपायों के 4, 14, 20 भेद | 507
नरकादि गति के प्रथम ममयों में कौनमी कषाय हो? | [ 37 ]
शक्ति, लेण्या व प्रायुबंध की अपेक्षा |
4, 14, 20 भेद |
छहों मेश्याओं में कुछ समान अश |
काय मार्गणा में जीव |
ज्ञानमार्गणा |
निरुक्ति सिद्ध |
लक्षण ज्ञान के भेद, स्वामी ग्रादि |
मिश्रज्ञान का हेतु/मनःपर्यय का स्वामी |
3 अज्ञानों के लक्षण |
314 मतिझान विविध भेद, सविस्तर निरूपण |
श्रुतज्ञान-लक्षगा, भेद, स्वरूप |
षट्स्थान लि का स्वरूप |
अक्षरात्मक श्रुतज्ञान |
द्रव्यश्रुत |
केवल ज्ञान समान नहीं |
श्रुत के 20 भेदों का प्रपञ्च |
323 द्वादशांग के सब पद |
बाह्य अक्षरों की संख्या 13 |
श्रुतज्ञान के 64 प्रक्षरों के एक्संयोगी मादि सर्व भंगों की गणित |
अंगप्रविष्ट तथा अंगबाह्य में विभाजन |
237 बारह अंगों के नाम व पद |
338 दिव्यध्वनि का स्वरूप |
बारहवें अंग के भेद इत्यादि |
344 अंगवाह्य के भेद |
345 धावक क्रर्म के उपदेशक तीर्थकर |
345 अहिसक कैसे ? |
श्रुनज्ञान के पर्यायवाचक शब्द |
345 अवधिज्ञान : स्वरूप, भेद, स्वामी |
अन्य भेद व स्वामी |
351 अवधिजान का विषय |
352 देशावधि के जघन्यादि |
द्रव्य तथा ध्र बहार का स्वरूप, कार्मण _ वर्गणा का गुणाकार प्रादि |
देशावधि के द्रव्य विकल्प |
363 क्षेत्र व काल के विकल्प कैसे बढ़ते हैं ? |
देशावधि के 16 काण्डक |
365 परमावधि |
मविषि नरक में अवधिक्षेत्र |
मनुष्य-तिर्यंच में अवधि |
भवनत्रिक में अवषि का क्षेत्रकाल |
375 । स्वगरें में अवधिज्ञान |