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घण्टाकर्ण मंत्र कल्पः . ..
नागार्जुन यन्त्र विधान नागार्जुन यन्त्र के चार स्वरूप आगे दिये गये हैं। इनमें से जिस स्वरूप को भी चाहें, उसे सोना, चांदी अथवा तांबे के पत्र पर खुदया लें। फिर किसी शुभ दिन प्रातःकाल एक लकड़ो की चौकी पर रेशमी वस्त्र बिछाकर उसके ऊपर यन्त्र को रखें तथा पूर्वोक्त विधि से यन्त्र की प्राण प्रतिष्ठा करें । तदुपरान्त यन्त्र के ऊपर पाश्वनाथ प्रभु की मूर्ति स्थापित करके पहले पंचामृत से अभिषेक करें, फिर अष्ट द्रव्यों से नीचे लिखे अनुसार पूजा-अर्चना करें। . सर्व प्रथम निम्नलिखिर सर का सहारा करमा गाहिए-..
__ "ॐ जीवानां . बह जीवन प्रायः जीवन समझक्षे। __ यो नागार्जुन यंत्रं भजते कि कुर्वते हि तस्य वचनागाः ।" इसके उपरान्त निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करेंमन्त्र--ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौ स्वः पः हः पक्षी प देवदत्तस्य
सर्वोपद्रव शान्ति कुरू कुरू स्थाहा पारिए प्रभवे निर्वामि
स्वाहा ।" टिप्पणी:- उक्त मन्त्र में जहां देवदत्त शब्द पाया है, वहां साधक को अपने नाम का उच्चारण करना चाहिए।
इसके उपरान्त क्रमशः निम्नलिखित मन्त्रों का उच्चारण करते हुए पूजा द्रव्य समर्पित करने चाहिए।
. गन्ध का मन्त्र "चन्द्रप्रभु शोभा गुण युक्त्यं । चन्दन के चन्दन रवि मिश्रे। यो नागार्जुन यंत्रं भजते किं कुर्वते हि तस्य वचनागाः।"
"ॐ ह्रां ह्रीं ह्रलो हः ।
मंचं समर्पयामि । .. ... यह कहते हुए गंध समर्पित करें।