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(बटाकर्ण वीर के लिए मंत्र चित्र नं० ५३ देखें )
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रमाबलार यत्रत्वं विष्ट से देव निरिप तो हर पंजिनिःरो गालव प्रादयति धात पी
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विधादेवी रहा यजम
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महावीरनमारते.
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॥राक्षसाः प्रश्नतिनः, नाकासमतस्प नस्यसंसदश्यले अग्मि और न मा रित है। घर फर्शन गनुले इ.६: स्या
( यंत्र चित्र नं०५३)
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