________________
L
इस शताब्दी के प्रथम दिगम्बराचार्य आदि सागरजी महाराज ( अंकलीकर ) के तृतीय पट्टाधीश परम पूज्य श्री १०८ प्राचार्य परम तपस्वी मुक्ति पथ नायक संत शिरोमणि सन्मति सागरजी महाराज का
मंगलमय शुभाशीर्वाद
हमें यह जानकर प्रशन्नता हुई है कि युग प्रधान चारित्र चक्रवर्ती प्राचार्य श्रादिसागरजी महाराज ( अंकलीकर) की परम्परा के सूर्य गणधराचार्य श्री कुन्थुसागरजी महाराज ने अपने गुरुवर्यं तीर्थवन्दना भक्त शिरोमणि महान मंत्रवादी परमपूज्य आचार्य श्री महावीर जी महाराज से जो अध्ययन किया है उसमें से कुछ जनहित के लिये "घण्टाकर्ण मंत्र कल्पः ग्रन्थ के रूप में संग्रह किया है। लुप्त विद्याओं का प्रादुर्भाव करके गरवराचार्य महाराज महान साहस का परिचय दे रहे हैं। प्रकाशित हो रहे ग्रंथ के माध्यम से कल्याणेच्छू सभी भव्य आत्माएं स्वार्थं के साथ परमार्थ भी साधे, ऐसी श्राशा ही नहीं, बल्कि पूर्ण विश्वास है ।
ग्रंथ का प्रकाशन श्री दिगम्बर जैन कुन्यु विजय ग्रंथमाला समिति जयपुर (राजस्थान) के द्वारा १६ वें पुष्प के रूप में करवाया जा रहा है। अतः ग्रंथ प्रकाशन के लिये' ग्रंथमाला के प्रकाशन संयोजक श्री शांति कुमारजी गंगवाल एवं इनके सहयोगियों को हमारा बहुत-२ मंगलमय शुभाशीर्वाद है ।
प्राचार्य सन्मति सागर