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नयवक्रसार अनुक्रमणिका
पत्र. ।
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विषय १ मंगलाचरण । चार अनुयोग तथा गुणठाणा आ
श्रीजीवकाभेद और साधारण वैराग्य उपदेश तथा भवकी सामान्य विवक्षा और मीमांसादिक
अर्थ दर्शनोका बिचार. २ द्रव्यका गुणका और पर्यायका लक्षण नय निक्षेपादिक सहित इणुके अन्तरभूत अन्यदर्शनीयोकी
उन्मार्गता इत्यादिक. ३ पंचास्तिकायका स्वरूप तथा एकेक द्रव्यका भिम
मिन्न लक्षण इत्यादि.
विषय ४ पंचास्तिकायका सामान्य विशेष धर्म, ५ असिस्वभावका लक्षण और नास्तिस्वभावका
लक्षण. ६ अर्पित अनर्पितपणे एकधर्म सप्तभंगी देखाइ है. १०५ ७ अत्यंत विस्तारसहित स्वरूपपणे सप्तभंगी देखाइहै १०८ ८ गुणनी सप्तभंगीआ देखाई है. ९ नित्यानित्यस्वभावमें और अस्ति नास्ति स्वभा
बमें उत्पाद व्ययका एक भेद दुसरा.