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________________ Strona धम्माऽधम्मापुग्गल नहकालोपंचहुंतिअजीवा । चलणसहावोधम्मो थिरसंठाणोअहम्मोय ॥९॥ | (धम्माऽधम्मा ) धर्मास्तिकाय और अधर्मास्तिकाय (पुग्गल) पुद्गलास्तिकाय (नह) आकाशस्तिकाय (कालो) * और काल (पंच) यह पांच (हुति ) है (अजीया ) अजीव गव्य (चलणसहावो) चलन स्वभावगुणवाला (धम्मो) धर्मास्तिकाय है (थिरसंठाणो) और स्थिरस्वभावगुणवाला ( अहम्मोय) एक अधर्मास्तिकाय है ॥९॥ ___ अवगाहोआगासं पुग्गलजीवाणपुग्गलाच उहा । खंधादेसपएसा परमाणुचेवनायवा ॥ १०॥ । (अवगाहो) अवकाश स्वभावगुणवाला (आगासं) आकाशस्तिकाय है, वह (पुग्गल) पुद्गलको (जीवाण) और [] जीवको अवकाश देता है (पुग्गर) युगलके (चउहा) चार भेद है ( खंधा ) खंध (देस) देश (पएसा) प्रदेश में (परमाणु) और परमणु ऐसे (चेव) निश्चे (नायबा) जानना ॥ १०॥ सबंधयारउजोय पभाछायातवेहिआ । वाणगंधरसाफासा पुग्गलाणंतुलख्खणं ॥११॥ | (सई) जीव शद्धादि तीन (अंधयार) अंधकार ( उज्जोय) प्रकाश (पभा ) ज्योति (छाया) छाया (तवेहिआ) सूर्यका तांबडा (यण्ण ) पाँचोही वर्ण (गंध ) दोनु गन्ध (रसा) पाँचरस (फासा) आठ स्पर्श (पुग्गलाणंतु)| पुद्गलका ऐसे (लरूखणं ) लक्षण है ।। ११ ॥ |एगाकोडिसतसट्टि लख्खासत्तहत्तरीसहस्साय । दोयसयासोलहिया आवलियाइगमुहुत्तम्मि ॥१२॥ ARKEST AA
SR No.090175
Book TitleJivvicharadiprakaransangrah
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJindattsuri Gyanbhandar Surat
PublisherJindattsuri Gyanbhandar
Publication Year
Total Pages305
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Religion, & Principle
File Size7 MB
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