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भावार्थ-सातवें नरकके जीवोंका शरीर-प्रमाण पाँचसौ धनुष, छद्रे नरकके जीवोंका शरीर-प्रमाण ढाइसौं हैं
धनुष, पाँचवें नरकके जीवोंका एकसौ पच्चीस धनुष, चौथे नरकके जीवोंका साढ़े बासठ धनुष, तीसरे नरकके जीवोंका । _* सवा इकतीस धनुष, दूसरे नरकके जीवोका साढ़े पन्दरह धनुष और बारह अङ्गुल, तथा प्रथम नरकके जीवोंका शरीर ५
-प्रमाण पौने आठ धनुष और छह अङ्गुल है. नारकोंके उत्तरवैक्रिय शरीरका प्रमाण, उक्त प्रमाणसे दुगुना समझना चाहिये.
प्र०-धनुषका प्रमाण क्या है? उ०-चार हाथका एक धनुष समझना चाहिये. जोयणसहस्समाणा, मच्छा उरगा य गन्भया हुंति।धणुअपुहुत्तं पक्खिसु, भुयचारी गाउअपुहुत्तं ॥३०॥ खयरा धणुअपुहत्तं, भुयगा उरगा य जोयणपुहत्तं।गाउअपहत्तमित्ता, समुच्छिमा चउप्पया भणिवा ३१,
(गन्भया) समूच्छिम या गर्भज (मच्छा) मत्स्य-मछलियाँ, (य) और गर्भज (उरगा) साँप यह अधिकसे है अधिक (जोयणसहस्समाणा) हजारयोजन प्रमाणवाले (हुति ) होते हैं. (पक्खिसु) पक्षियों में शरीर प्रमाण(धणुअ-10 पुहुत्तं ) धनुष-पृथक्त्व है तथा (भुयचारी) भुजचारी-भुजाओंसे चलनेवाले ( गाउअपुहुत्तं ) गव्यूत-पृथक्त्व-प्रमाण
शरीरके होते हैं ॥ ३० ॥ | (समुच्छिमा) सम्मूछिम (खयरा) खेचर जीव (भुवगा) और भुजाओंसे चलनेवाले जीव (धणुअपुहुप्तं ) धनुष
-पृथक्त्व-प्रमाणवाले होते हैं (य) और (उरगा) साँप आदि (जोयण पुहुस) योजन-पृथक्त्व शरीर-प्रमाणके होते हैं. (चउप्पया) चतुष्पद जीव ( गाउअपुहुत्तमित्ता) गव्यूत-पृथक्त्वमात्र ( भणिया) कहे गये हैं ॥ ३१॥
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