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________________ * * जेवारें केवलज्ञाने करी सर्व द्रव्य जेम रह्या छे तेम देखे एटले आकाशद्रव्य लोकालोक प्रमाण छे तेमां अलोकमा चीजें द्रव्य कोई नथी लोकाकाशना एकेक प्रदेशे धमास्तिकाय अधमर्मास्तिकायनो एकेक प्रदेश रह्यो छे तथा अनंता जीवना अनंताप्रदेश रह्या छे अनंता पुद्गल परमाणु रह्या छे कालनो समय सर्वत्र वर्ते छे. | हवे छ द्रव्यनी फरशना कहे छे धर्मास्तिकायना एक प्रदेशे धर्मास्तिकायना छ प्रदेश फरस्या छे ते आवी रीते के चार दिशिना चार अने पांचमो नीचे छट्ठो ऊपर ए छ प्रदेश फरस्या छे तथा एक मूल पोतें प्रदेश एम सात प्रदेशनो संबंध छे अने धर्मास्तिकायना एक प्रदेशने आकाशद्रव्य तथा अधर्मास्तिकावना सात सात प्रदेश फरशे छे ते एकमूलना प्रदेशने बीजा द्रन्यनो मूलनो प्रदेश फरशे माटे सात प्रदेशनी फरशना छे अने धर्मास्तिकायना एक प्रदेशे जीव पुद्गलना अनंता प्रदेशनी फरशना छे अने लोकने अंते जे धर्मास्तिकायना प्रदेश छे तेने आकाशनी फरशना तो छए। दिशीनी छे अने एकमूल प्रदेश सुद्धा सात प्रदेशनी फरशना छे अने बीजा द्रव्यनी त्रण दिशीनी फरशना छ एम सर्व द्रव्यनी फरशना छे अने आकाशथी धर्म अधर्मनी अवगाहना सूक्ष्म छे धर्म अधर्म द्रव्यथी जीवनी अवगाहना सूक्ष्म छे जीवथी पुद्गलनी अवगाहना सूक्ष्म छे. एम छ द्रव्यना गुण पर्याय सामान्य स्वभाव ११ छे अने विशेष स्वभाव दश छे ते श्रीकेवली भगवत ज्ञानथी जाणे * दर्शनथी देखे ते इग्यार सामान्य स्वभाव कहे छे १ अस्ति स्वभाव २ नास्ति स्वभाव ३ नित्य स्वभाव ४ अनित्य खभाव ५ एक स्वभाव ६ अनेक स्वभाव ७ भेद स्वभाव ८ अभेद स्वभाव ९ भव्य स्वभाव १० अभव्य स्वभाव ११ परम * * * *
SR No.090175
Book TitleJivvicharadiprakaransangrah
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJindattsuri Gyanbhandar Surat
PublisherJindattsuri Gyanbhandar
Publication Year
Total Pages305
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Religion, & Principle
File Size7 MB
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