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उजले कपडे शिणगार करी गच्छना ममलभातें माचतां स्वेच्छाचारी वीतरागनी आज्ञा भांजता जे तप क्रिया करे के ते पण द्रव्य निक्षेपामां छे अथवा ज्योतिष वैद्यक करे छे अने पोताने आचार्य उपाध्याय कहेबरावीने लोकपासें महिमा करे छे ते पत्रीबंध खोटा रूपैया जेचा हे घणा भव भमसे माटे अवंदनीक है ए साख उत्तराध्ययन मध्ये अनाथी मुनिना अध्ययन थकी जाणवी अने सूत्रना अर्थ गुरुमुखे सिख्याविना तथा नय प्रमाण जाण्या विना नि आत्मानुं स्वरूप ओलख्या विना निर्युक्ति विना उपदेश आपे छे ते पोते तो संसारमां बुद्ध्या छे पण जे तेमनी पासे बेसे छे तेमने पण संसारमां बुडावे छे एम प्रश्नव्याकरणसूत्र तथा अनुयोगद्वारसूत्रमां कथं छे "अत्थ व सोलसमं” इत्यादि अने भगवती सूत्रमां पण कह्युं छे “सुतत्थो खलु पढमो, बीओ निजुत्तिमीसओ भणिओ, तइओ य निर वसेसो एस विही होइ अणुओगो" अने केटलाक एम कहे छे जे अमे सूत्र ऊपर अर्थ करिये छैयें तो निर्युक्ति तथा टीका प्रमुखनुं शुं काम छे तेपण मृषावाद छे केम के श्रीमश्नव्याकरणमां "वयणतियं लिंगतियं" इत्यादिक जाण्या बिना अने नय निक्षेप जाण्या बिना जे उपदेश आपे ते मृषावाद छे एम अनेक सूत्रमां कह्युं छे माटे बहुश्रुत पासे उपदेश सांभलवो श्री उत्तराध्ययन मध्ये बहुश्रुतने मेरुनी तथा समुद्रनी अने कल्पवृक्षादि सोल उपमा दीधी छे ए द्रव्य - निक्षेपो कह्यो.
४ भावनिक्षेपो कहे छे. जे नाम स्थापना अने द्रव्य ए त्रण निक्षेपा ते एक भावनिक्षेपा बिना अशुद्ध छे जे नाम | तथा आकार लक्षण गुण सहित वस्तु ते भाव निक्षेपो जाणवो उबओगोभाव इति वचनात् एटले पूजा दान शील