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ANAKAMANARTHA
अब्भय-तूरी ऊसं, मट्टी-पाहाण-जाइओ णेगा । सोवीरंजण-लूणा-इ, पुढवि-भेआइ इच्चाई ॥ ४ ॥ । (फलिह) स्फटिक, (मणि) मणि-चन्द्रकान्त आदि, (रयण) रत्न-वज्रककतन आदि, (विहुम ) मूंगा, (हिंगुल) हिङ्गुल-ईगुर, (हरियाल) हरताल, (मणसिल) मैनसिल-मनःशिला, (रसिंद) रसेन्द्र-पारा-पारद, (कणगाइ घाउ) कनक आदि धातु-सोना, चान्दी, ताम्बा, लोहा, राँगा, सीसा और जस्ता, (सेढ़ी) खटिका खड़िया, (वन्निनाद | वर्णिका-लाल रङ्गकी मिट्टी, सोनागेरु ( अरणेदृय) अरणेट्टक-पत्थरोंके टुकड़ोंसे मिली हुई पीली मिट्टी, (पलेवा) | पलेवक-एक किस्मका पत्थर ॥ ३ ॥ (अब्भय ) अभ्रक-अबरक, (तूरी) तेजनतूरी (ऊसं) क्षारभूमिकी-उसरकी मिट्टी, पापडखार (मट्टी पाहाण जाइओ णेगा) मिट्टी और पत्थरकी अनेक जातियां, (सोपीरंजण) सुरमा, खापरिया (लूणाई ) लवण-नमक, (इच्चाई ) इत्यादि (पुढविभेआई) पृथ्वीकाय जीवोंके भेद हैं ॥ ४॥
भावार्थ-स्फटिक, मणि, रत्न, मूंगा, हिंगलू , हरताल, मैनसिल, पारा, सोना, चान्दी, ताम्बा, लोहा, राँगा, लासीसा-शीशा, जस्ता, खड़िया, सोनागेर पाषाणके टुकड़ोंसे मिली हुई पीली मिट्टी, पलेवक नामक पत्थर, अवरक,
तेजनतरी नामक मिट्टी, ऊसरकी मिट्टी, और भी काली, पीली आदि रंगकी मिट्टी तथा पत्थर; सफेद, काला [लाल रंगका सुरमा; सांभर आदि नमक, इस प्रकार और भी बहुतसे पृथ्वीकाय जीवोंके भेद समझना चाहिये.
प्रा-क्या इन सोने-चान्दीके गहनों में भी जीव हैं! उ०-नहीं, जब तक सोना-चान्दी खानमें रहता है|