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________________ D KI : भावार्थ--उत्तरकुरु और देवकुरु इन दोनो क्षत्राको क्रमस, सीता और सोतीदा नदियांमें छ छ अंतर नदिये। गी- मिलती है. और प्रत्येक नदीका परिवार चउदह २ हजार नदियांका है। म् 5 फिर पश्चिम महाविदेहकी, शोले विजयांमें प्रत्येक विजयके अन्दर, रक्ता. और रक्तवती, इन नामकी दो नदिये । होनेमै वतीश नदिमें होती है. और इन प्रत्येकका चौदह २ हजार नदियांका परिवार है ॥ २३ ॥ चउदस सहस्स गुणिया, अडतीस नइओ विजय मझिल्ला।सीओयाए निवडंति, तहय सीयाइं एमेव २४/ __ अर्थ-(विजय मझिल्ला) महाविदेहकी पश्चिम शोले विजयके अन्दरकी ३२ व छ. अंतर नदिये यह मिलाकर, (अडतीस नइओ) अडतीस नदियांको (चदस सहस्स गुणिया) चौदह हजारसै गुणा करते पांच लाख वत्तीस हजार (५३२०००) नदिये होती है. यह सर्व (सीओयाए) सीतौदाके अन्दर (निवर्टति ) मिलती है, (तहय) ऐसेही(सीयाई) सीता नदीके अन्दरभी. (एमेव ) एसेही याने पूर्व शोले विजयकी, और छ. उत्तरकुरु क्षेत्रकी अंतर नदिये यह सब मिलकर पूर्व संख्यावत् (५३२०००) नदिये मिलती है ॥ २४ ॥ भावार्थ-पश्चिम शोले विजयके अन्दरकी बत्तीस पश्चिम विदेहक्षेत्रकी अन्तरनदिये छ. इन अडतीश नदिवांको चौद हजारसे गुणा करनेपर “पांच लाख यतीश हजार (५३२०००) नदियें होती है. और यह सब सीतोदा नदीमें जाके मिलती हैं" एसेहि पूर्वी शोले विजयकी बतीश और पूर्व विदेह क्षेत्रकी अन्तर छ. यह अडतीश नदियें भी पूर्वोक्त हिसाबसे (५३२०००) के परिवारसे सीता नदीमें जाके मिलती है ॥ २४ ॥
SR No.090175
Book TitleJivvicharadiprakaransangrah
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJindattsuri Gyanbhandar Surat
PublisherJindattsuri Gyanbhandar
Publication Year
Total Pages305
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Religion, & Principle
File Size7 MB
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