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________________ कलासवर्णव्यवहारः अत्रोद्देशकः 'पदमिष्टं द्वित्र्यंशो रूपेणांशो हरश्च संवृद्धः । यावद्दशपदमेषां वद मुखचयवर्गवृन्दानि ॥२६॥ इष्टघनधनाद्युत्तरगच्छानयनसूत्रम् इष्टचतुर्थः प्रभवः प्रभवात्प्रच्यो भवेद्विसंगुणित: । प्रचयश्चतुरभ्यस्तो गच्छस्तेषां युतिर्वृन्दम् ||२७|| -३.२८ ] अत्रोद्देशकः द्विमुखैकचया अंशा स्त्रिप्रभवैकोत्तरा हरा उभये । पचपदा वद तेषां घनधनमुखचयपदानि सखे ||२८|| १ यह श्लोक M में अप्राप्य है । उदाहरणार्थ दी हुई श्रेदि में पदों की चुनी हुई संख्या 3 है; इस भिन्न के अंश और हर उत्तरोत्तर एक द्वारा बढ़ाये जाते हैं जब तक कि १० विभिन्न भिन्नात्मक पद प्राप्त नहीं होते। इन भिन्नों को संवादी समान्तर श्रेढियों के पदों की संख्या मानकर उनके सम्बन्ध में प्रथम पद, प्रचय और योग के वर्ग तथा घन निकालो ||२६|| समान्तर श्रेढि के दिये हुए योग ( जो कि किसी इष्ट राशि का घन हो ) के सम्बन्ध में प्रथम पद, प्रचय और पदों की संख्या निकालने का नियम इष्ट राशि का चतुर्थांश प्रथम पद है । इस प्रथम पद में दो का गुणन करने पर प्रचय उत्पन्न होता है । प्रचय में चार का गुणा करने पर ( एक ) इष्ट श्रेढि के पदों की संख्या प्राप्त होती है। इनसे सम्बन्धित योग इष्ट राशि का घन होता है ॥२७॥ उदाहरणार्थ प्रश्न अंश २ से आरम्भ होते हैं और उत्तरोत्तर १ द्वारा बढ़ते हैं; हर को १ द्वारा बढ़ाते हैं जो कि आरम्भ में ३ है । ये दोनों प्रकार के पद ( अंश और हर ) में से प्रत्येक संख्या में पाँच है । इन चुनी हुई भिन्नात्मक राशियों के सम्बन्ध में, हे मित्र, घनात्मक योग और संवादी प्रथमपद, प्रचय और पदों की संख्या निकालो ||२८|| ( २७ ) यह नियम केवल विशेष दशा में प्रयुक्त किया गया है । यह साधारण रूप से भी प्रयोग में लाया जा सकता है । नियम इस तरह है : क्योंकि प्रथम पद [ ४१ क क ३क ५ क + + + • २ क पदों तक = ४ ४ ૪ २ इस क्रिया की साधारण प्रयोज्यता, समीकरण क X ( पक) = क से शीघ्र स्पष्ट हो सकती पर है । इन सब दशाओं में श्रेढिके पदों की संख्या प्रथम पद को प से गुणित करने पर प्राप्त हो सकती है क पर ग० सा० सं०-६ - ( २ ४ २ 3 = क क ) है । प्रत्येक दशा में प्रचय प्रथमपद से द्विगुणित लिया जाता है ।
SR No.090174
Book TitleGanitsara Sangrah
Original Sutra AuthorMahaviracharya
AuthorA N Upadhye, Hiralal Jain, L C Jain
PublisherJain Sanskriti Samrakshak Sangh
Publication Year1963
Total Pages426
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, & Maths
File Size35 MB
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